सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) को आदेश दिया कि वह जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे 11 विदेशी मेडिकल स्नातकों को दो हफ्तों के भीतर स्टाइपेंड जारी करे। यह कॉलेज एएमयू का एक घटक इकाई है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह यह राशि अपनी स्वयं की निधि से दे। साथ ही, शीर्ष अदालत ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से कहा कि एएमयू के खिलाफ इस आधार पर कोई कार्रवाई न की जाए कि उसने पूर्व अनुमति नहीं ली थी।
यह निर्देश 11 विदेशी मेडिकल स्नातकों की याचिका पर आया, जिनमें से एक ज़बीउल्लाह भी हैं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि एएमयू केवल भारतीय मेडिकल स्नातकों को स्टाइपेंड देता है, जबकि विदेशी स्नातकों को इससे वंचित रखा जाता है — जबकि दोनों ही समान इंटर्नशिप कार्य कर रहे हैं, जैसा कि नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के नियमों में निर्धारित है।

पीठ ने स्पष्ट किया कि देश या विदेश से स्नातक किसी भी मेडिकल इंटर्न को स्टाइपेंड पाने का समान अधिकार है।
सुनवाई के दौरान, एएमयू ने अदालत को बताया कि वह भविष्य में विदेशी इंटर्न्स के लिए स्टाइपेंड का प्रावधान करने हेतु केंद्र सरकार और यूजीसी से अतिरिक्त वित्तीय सहायता को लेकर परामर्श कर रहा है।