ऑनर किलिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के आदेश रद्द, धारा 302 के तहत नए सिरे से मुकदमा चलाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश की एक ट्रायल कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने एक अंतरधार्मिक प्रेम प्रसंग के चलते हुई कथित ऑनर किलिंग के मामले में अभियुक्तों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत हत्या का आरोप तय न करने को न्यायिक त्रुटि बताया है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पी.वी. संजय कुमार की पीठ ने यह टिप्पणी अय्यूब अली द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसके बेटे जिया उर रहमान की हत्या उसकी प्रेमिका के परिजनों ने कर दी, क्योंकि दोनों अलग-अलग धर्मों से थे।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की कि वह मुकदमा चलाने के बजाय 'प्रताड़ना' कर रही है

सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दर्ज घातक चोटों का हवाला देते हुए कहा कि मामला धारा 302 IPC (हत्या) के तहत बनता है, न कि धारा 304 IPC (ग़ैर-इरादतन हत्या) के तहत। कोर्ट ने कहा:
“इस मामले में आरोप धारा 304 के तहत नहीं, बल्कि धारा 302 के तहत तय होना चाहिए था। हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट दोनों ने गलती की है।”

Video thumbnail

पीठ ने मामले को एक “स्पष्ट ऑनर किलिंग” बताया और निचली अदालतों द्वारा इसे हल्के में लेने पर नाराज़गी जताई। कोर्ट ने तीखा सवाल करते हुए कहा:
“यह साफ तौर पर ऑनर किलिंग है। इन्हें क्यों छिपना पड़ा? सिर्फ इसलिए कि वे अलग-अलग धर्मों से थे?”

READ ALSO  बेंगलुरू में तूफानी जल नालों का अतिक्रमण: हाईकोर्ट ने अधिकारियों से संयुक्त रिपोर्ट मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों के आदेशों को रद्द करते हुए निर्देश दिया कि अब इस मामले में IPC की धारा 302 के तहत नए सिरे से आरोप तय किए जाएं और मुकदमा उसी आधार पर आगे बढ़े।

कोर्ट का स्पष्ट आदेश था:
“धारा 302 के तहत नया आरोप तय किया जाए और मुकदमा उसी के अनुसार चले। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश निरस्त किए जाते हैं।”

याचिकाकर्ता अय्यूब अली ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे को उसकी प्रेमिका के परिजनों ने बुरी तरह पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गंभीर अंदरूनी चोटों की पुष्टि हुई थी। इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने केवल धारा 304 के तहत आरोप तय किया, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था।

READ ALSO  धारा 354D आईपीसी के अपराध के लिए महिला द्वारा अरुचि के स्पष्ट संकेत के बावजूद बार-बार पीछा किया जाना चाहिए: हाईकोर्ट ने किया बरी

अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला हत्या के गंभीर आरोप यानी धारा 302 के तहत नए सिरे से आगे बढ़ेगा।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles