सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के नामांकन (Enrollment) के लिए उत्तर प्रदेश बार काउंसिल द्वारा अपनाई जा रही कथित नई प्रक्रिया पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई है कि राज्य बार काउंसिल नामांकन के लिए न केवल उम्मीदवारों का मौखिक साक्षात्कार (Oral Interview) ले रही है, बल्कि इसके लिए उनसे शुल्क भी वसूल रही है।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने 5 दिसंबर, 2025 को दिए अपने आदेश में इसे “बेहद चौंकाने वाला” (Very Shocking) करार दिया। कोर्ट का मानना है कि प्रथम दृष्टया यह गौरव कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले के निर्देशों से बचने का एक प्रयास प्रतीत होता है।
क्या है कानूनी मुद्दा?
यह मामला प्रियदर्शिनी साहा बनाम पिनाकी रंजन बनर्जी (और संबंधित रिट याचिका संख्या 774/2025) की सुनवाई के दौरान सामने आया।
याचिकाकर्ता का मुख्य आरोप यह है कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश सुप्रीम कोर्ट के 30 जुलाई, 2024 के गौरव कुमार बनाम भारत संघ फैसले का पालन नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को दरकिनार करने के लिए राज्य बार काउंसिल ने एक “अनोखा तरीका” (Unique Method) ईजाद किया है।
याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से पेश विद्वान वकील ने कोर्ट का ध्यान यूपी बार काउंसिल की मौजूदा नामांकन प्रक्रिया की ओर खींचा। उन्होंने दलील दी कि:
- ओरल इंटरव्यू: नामांकन के इच्छुक उम्मीदवारों को अब मौखिक साक्षात्कार देना अनिवार्य किया गया है।
- अतिरिक्त वसूली: इस साक्षात्कार में शामिल होने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार से 2,500 रुपये वसूले जा रहे हैं।
वकील ने तर्क दिया कि यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेशों की मूल भावना के खिलाफ है।
कोर्ट की टिप्पणी और विश्लेषण
दलीलों को सुनने के बाद, पीठ ने स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। अपने लिखित आदेश में जजों ने स्पष्ट रूप से कहा:
“याचिकाकर्ता के विद्वान वकील ने हमारे संज्ञान में कुछ बहुत ही चौंकाने वाली (very shocking) बात लाई है।”
कोर्ट ने माना कि यदि ये आरोप सही हैं, तो यह एक गंभीर विषय है, क्योंकि यह शीर्ष अदालत के फैसले को निष्प्रभावी बनाने का प्रयास हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और फैसला
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से निम्नलिखित निर्देश जारी किए हैं:
- नोटिस जारी: कोर्ट ने रिट याचिका और अवमानना याचिका दोनों में नोटिस जारी किया है। यूपी स्टेट बार काउंसिल की ओर से मौजूद वकील ने नोटिस स्वीकार कर लिया है।
- हलफनामा (Affidavit): कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई पर एक विस्तृत हलफनामा दायर कर इन आरोपों पर स्पष्टीकरण दे।
- BCI को हस्तक्षेप का आदेश: कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को सख्त निर्देश दिया है। आदेश में कहा गया:
“इस बीच, हम बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले को देखे और यूपी बार काउंसिल के साथ इस मुद्दे को उठाए।” - अगली सुनवाई: मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी, 2026 को तय की गई है। तब तक के लिए कथित अवमाननाकर्ताओं (Alleged Contemnors) की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी गई है।
केस विवरण:
- केस टाइटल: प्रियदर्शिनी साहा बनाम पिनाकी रंजन बनर्जी
- केस नंबर: Contempt Petition (Civil) Diary No. 59883/2025 in W.P. (C) No. 352/2023; W.P. (C) No. 774/2025
- कोरम: जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले

