सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (28 अप्रैल, 2025) को राजस्थान हाईकोर्ट को एक रिट याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें वर्ष 2025-26 के लिए जिला जजों की नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्णय को चुनौती दी गई है, जबकि वर्ष 2020 की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा विवाद अभी तक लंबित है।
जस्टिस जे.बी. पारडीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता नामित सक्सेना ने प्रस्तुत किया कि जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को 2020 भर्ती विवाद का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया था, किंतु अब तक इस पर निर्णय नहीं हुआ है। इसके विपरीत, हाईकोर्ट ने 2025-26 के लिए नई भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
प्रकरण की पृष्ठभूमि
वर्ष 2020 में राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला जज पद के लिए 85 रिक्तियों का विज्ञापन जारी किया था। मुख्य (लिखित) परीक्षा में 788 उम्मीदवार शामिल हुए थे, लेकिन केवल 4 उम्मीदवारों को सफल घोषित कर साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ताओं ने पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने 17 नवंबर 2022 को उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया था।
18 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस गोविंद माथुर को उत्तरपुस्तिकाओं की जांच के लिए नियुक्त किया। जस्टिस माथुर ने अपनी रिपोर्ट में मूल्यांकन प्रक्रिया में किसी गड़बड़ी से इनकार किया। इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं ने आपत्तियाँ दाखिल कीं, जिसके बाद 14 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट ने प्रतिष्ठित प्रोफेसरों और विधि विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाकर प्रत्येक पेपर की 20 उत्तरपुस्तिकाओं की गोपनीयता बनाए रखते हुए पुनः समीक्षा का आदेश दिया।
हाईकोर्ट के प्रशासनिक पक्ष ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में नई चुनौती
वर्तमान रिट याचिका में याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि हाईकोर्ट ने फरवरी 2024 के आदेश का पालन कर पुनः मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी करने के बजाय 2025-26 के लिए नई भर्ती अधिसूचना जारी कर दी। उनका तर्क है कि 2020 की चयन प्रक्रिया अब भी लंबित है, और उसे पूर्ण किए बिना नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करना न्यायिक निर्देशों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि 2025-26 की अधिसूचना में घोषित रिक्तियों को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, और उन्हें फरवरी 2024 के आदेश के अंतिम परिणाम के अधीन बताया गया है, जिससे स्थिति और अधिक जटिल हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए राजस्थान हाईकोर्ट को नोटिस जारी कर ताजा भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर उसका जवाब मांगा है।