सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऑनलाइन अश्लील सामग्री के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने इस दौरान यह रेखांकित किया कि ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर “सामाजिक जिम्मेदारी” का महत्वपूर्ण दायित्व है कि वे जनता के समक्ष आपत्तिजनक सामग्री उपलब्ध होने की समस्या का समाधान करें।
सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने याचिका पर विचार करते हुए टिप्पणी की, “यह याचिका ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक, अश्लील और अभद्र सामग्री से संबंधित महत्वपूर्ण आरोप उठाती है।”
याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह एक राष्ट्रीय सामग्री नियंत्रण प्राधिकरण (National Content Control Authority) के गठन का निर्देश दे, जो ऑनलाइन सामग्री की निगरानी करे और फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, नेटफ्लिक्स आदि जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश तैयार करे।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को अवगत कराया कि कुछ नियामक ढांचे पहले से लागू हैं और डिजिटल सामग्री पर निगरानी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त उपायों पर भी विचार किया जा रहा है।
केंद्र की इस सूचना को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह न तो कार्यपालिका की नीतिगत भूमिका में हस्तक्षेप करना चाहता है और न ही न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में। हालांकि, कोर्ट ने यह भी जोर दिया कि यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि विभिन्न प्लेटफॉर्म्स समाजिक मूल्यों के अनुरूप सामग्री मानकों का पालन करें।