सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार, तमिलनाडु और केरल सरकारों तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 130 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध को बदलने के लिए नया बांध बनाने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर जारी किया गया है। याचिका में बांध की सुरक्षा और संरचनात्मक स्थिरता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई गई हैं।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ‘सेव केरल ब्रिगेड’ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ब्रिटिश काल में बना यह बांध केरल के इडुक्की ज़िले में पेरियार नदी पर स्थित है और इसके आसपास करीब एक करोड़ (10 मिलियन) लोग रहते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा, “मौजूदा बांध को मज़बूत करने के लिए कुछ दिशा-निर्देशों की ज़रूरत हो सकती है।” उन्होंने सुझाव दिया कि बांध की सुरक्षा और नए बांध के निर्माण की व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए किसी विशेषज्ञ निकाय से मामले की जांच कराई जानी चाहिए।

मुल्लापेरियार बांध वर्ष 1895 में ब्रिटिश काल में बनाया गया था। यह केरल में स्थित है, लेकिन एक लीज़ समझौते के तहत इसका संचालन तमिलनाडु सरकार करती है। यह बांध लंबे समय से दोनों राज्यों के बीच विवाद का विषय रहा है। केरल सरकार ने इसकी उम्र, भूकंपीय संवेदनशीलता और संरचनात्मक सुरक्षा को लेकर बार-बार चिंता जताई है, जबकि तमिलनाडु सरकार का कहना है कि यह बांध सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है।
वरिष्ठ अधिवक्ता वी. गिरी ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी कि यह पुराना बांध लाखों लोगों के जीवन और संपत्ति के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए बांध के निर्माण का निर्देश दिया जाए।
इस याचिका में केंद्र सरकार, तमिलनाडु और केरल सरकारों के साथ-साथ एनडीएमए को भी पक्षकार बनाया गया है। अदालत ने सभी पक्षों से जवाब मांगा है और आगे की सुनवाई बाद में होगी।