करूर भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार से कहा—धमकी के आरोपों को लेकर CBI से करें शिकायत

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को करूर भगदड़ में मारे गए एक पीड़ित के परिजनों को निर्देश दिया कि वे राज्य अधिकारियों द्वारा दी गई कथित धमकियों की शिकायत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से करें।

न्यायमूर्ति जे. के. महेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिष्णोई की पीठ ने यह निर्देश तब दिया जब परिवार की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि राज्य के कुछ अधिकारियों ने याचिकाकर्ता को धमकाया और दबाव डाला है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता को राज्य के अधिकारियों ने धमकाया और फुसलाया है। इस संबंध में इतना कहना पर्याप्त होगा कि याचिकाकर्ता केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से संपर्क कर सकता है। फिलहाल इन अंतरिम आवेदनों पर कोई और आदेश देने की आवश्यकता नहीं है।”

READ ALSO  Trial in Lakhimpur Kheri Violence Case Not ‘Slow Paced’, Says SC; Asks Sessions Court To Apprise It of Future Developments

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 13 अक्टूबर को करूर भगदड़ मामले की जांच CBI को सौंपी थी। यह हादसा 27 सितंबर को अभिनेता-राजनीतिज्ञ विजय की पार्टी ‘तमिलगा वेत्त्री कझगम’ (TVK) की रैली के दौरान हुआ था, जिसमें 41 लोगों की मौत हो गई थी। अदालत ने कहा था कि यह घटना “राष्ट्रीय चेतना को झकझोरने वाली” है और इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।

TVK की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) और एक सदस्यीय आयोग की जांच संबंधी दिशा-निर्देशों को निलंबित कर दिया था और जांच CBI को सौंप दी थी।

अदालत ने इसके साथ ही पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पर्यवेक्षण समिति गठित की, जो CBI जांच की निगरानी करेगी। तमिलनाडु सरकार को जांच एजेंसी के साथ पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया गया था।

READ ALSO  बड़ी खबरः मुकुल रोहतगी ने भारत के अगले एटोर्नी जनरल बनने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया

शीर्ष अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एन. सेंथिलकुमार द्वारा TVK और उसके सदस्यों पर की गई टिप्पणियों और उन्हें पक्षकार बनाए बिना SIT जांच के आदेश देने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। अदालत ने कहा था कि इस तरह के कदम न्यायिक निष्पक्षता की भावना को ठेस पहुंचाते हैं।

पहली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह घटना “नागरिकों के जीवन से जुड़ा गंभीर मामला” है और जिन परिवारों ने अपने परिजन खोए हैं, उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की थी कि “वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा मीडिया में दिए गए बयानों” से जांच की निष्पक्षता पर आम जनता के मन में संदेह पैदा हो सकता है।

READ ALSO  एपीओ भर्ती 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दृष्टिबाधित उम्मीदवार को अंतरिम राहत दी, UPPSC को मैनुअल आवेदन स्वीकार करने का निर्देश दिया

पुलिस के अनुसार, रैली में 10,000 की अपेक्षा लगभग 27,000 लोग पहुंचे थे, और विजय के कार्यक्रम स्थल पर सात घंटे की देरी को भी इस भगदड़ की एक बड़ी वजह बताया गया था।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles