सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम कदम उठाते हुए जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व में सैयद वसीम रिज़वी) द्वारा दायर उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने हरिद्वार धर्म संसद में 2021 में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के संबंध में उनके खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों को एकसाथ क्लब करने की मांग की है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अधिवक्ता अनुराग किशोर की दलीलों पर संज्ञान लिया, जिन्होंने बताया कि त्यागी को जम्मू-कश्मीर जाकर सुनवाई में शामिल होने में सुरक्षा संबंधी गंभीर खतरे हैं। किशोर ने श्रीनगर में दर्ज मामले को उत्तराखंड के हरिद्वार में लंबित मामलों के साथ क्लब करने का आग्रह किया।
कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड सरकारों के साथ-साथ श्रीनगर मामले में शिकायतकर्ता दानिश हसन से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामलों को क्लब करने की याचिका पर विचार करने की सहमति दी, लेकिन अंतरिम राहत के रूप में त्यागी को किसी प्रकार की गिरफ्तारी या दमनात्मक कार्रवाई से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया। वर्तमान में हरिद्वार की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में तीन मामले लंबित हैं, जबकि श्रीनगर में एक अलग शिकायत के आधार पर त्यागी की गिरफ्तारी के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
त्यागी ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें जान का गंभीर खतरा है और यह स्थिति उनके जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन करती है। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ कई बार मौत की धमकियां और “फतवे” जारी किए गए हैं, जिनमें एक मौलाना सैयद मोहम्मद शबीबुल हुसैनी द्वारा दिया गया फतवा भी शामिल है।
यह कानूनी विवाद उस धार्मिक सभा से जुड़ा है जो 17 से 19 दिसंबर, 2021 के बीच हरिद्वार में आयोजित की गई थी। हरिद्वार निवासी नदीम अली की शिकायत के अनुसार, इस धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काने का प्रयास किया गया था। शिकायत में त्यागी पर पवित्र कुरान और पैगंबर मोहम्मद के विरुद्ध आपत्तिजनक और उकसाऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया है, जिनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे।