उच्च शिक्षण संस्थानों की ग्रेडिंग प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर उठे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। न्यायालय ने केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) को नोटिस जारी कर विस्तृत जवाब मांगा है।
यह आदेश जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने NGO ‘बिस्ट्रो डेस्टिनो फाउंडेशन’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में NAAC द्वारा अपनाई जा रही मूल्यांकन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
1994 में स्थापित NAAC, UGC के अधीन एक स्वायत्त संस्था है, जो देशभर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन पाठ्यक्रम, संकाय, आधारभूत संरचना, शोध और वित्तीय स्थिति जैसे कई मानकों के आधार पर करती है।

याचिका में हाल ही में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज एक भ्रष्टाचार मामले का उल्लेख किया गया है, जिसमें NAAC के कुछ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं। यह मामला NAAC की कार्यप्रणाली और प्रत्यायन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।
पीठ ने कहा, “हम इस मामले में गहराई से जाना चाहते हैं और समझना चाहते हैं कि NAAC किस प्रकार कार्य करता है।” अदालत ने याचिकाकर्ता को अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की छूट भी दी है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह एक अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के निर्देश दे, जिससे देश के उच्च शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन सही और न्यायसंगत तरीके से हो सके।