सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार महेश लांगा को अहमदाबाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत प्रदान की।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पामचोली की पीठ ने मामले की विशेष अदालत द्वारा दिन-प्रतिदिन सुनवाई करने का निर्देश दिया और स्पष्ट किया कि लांगा किसी भी प्रकार का स्थगन (adjournment) नहीं मांगेंगे।
शीर्ष अदालत ने लांगा को अपने खिलाफ लंबित (sub-judice) मामले पर किसी भी समाचार पत्र में लेख लिखने या प्रकाशित करने से भी रोक दिया। पीठ ने चेतावनी दी कि जमानत की शर्तों का उल्लंघन होने पर अंतरिम जमानत रद्द करने पर विचार किया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडी की ओर से जमानत का विरोध करते हुए दलील दी कि एक पत्रकार द्वारा धन उगाही के आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और ऐसे मामले में जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
पत्रकार महेश लांगा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को तय की है और ईडी को निर्देश दिया है कि वह जमानत शर्तों के अनुपालन को लेकर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे। अदालत ने यह भी नोट किया कि अभी तक मामले में आरोप तय नहीं हुए हैं और ईडी ने अब तक नौ गवाहों को सूचीबद्ध किया है।
गौरतलब है कि 31 जुलाई को गुजरात उच्च न्यायालय ने लांगा की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनकी रिहाई से अभियोजन के मामले को नुकसान पहुंच सकता है। ईडी ने 25 फरवरी को कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में लांगा को गिरफ्तार किया था। इससे पहले अक्टूबर 2024 में उन्हें एक जीएसटी धोखाधड़ी मामले में भी गिरफ्तार किया गया था।
महेश लांगा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही अहमदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज दो प्राथमिकी (एफआईआर) से उत्पन्न हुई है, जिनमें धोखाधड़ी, आपराधिक गबन, आपराधिक विश्वासघात, छल तथा कुछ व्यक्तियों को लाखों रुपये का गलत नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप लगाए गए हैं।

