सुप्रीम कोर्ट ने उस रूसी महिला और उसके बच्चे का पता लगाने को लेकर चिंता जताई है जो अपने भारतीय पति से चल रहे विवाद के बीच भारत से रूस भाग गई है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करना चाहती जिससे भारत और रूस के संबंधों को नुकसान पहुंचे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि यह मामला विदेश मंत्रालय (MEA), मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास और नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के लिए एक राजनयिक चुनौती है और सभी को समन्वय कर ऐसा समाधान निकालना चाहिए जिससे बच्चे को अदालत की अभिरक्षा में वापस लाया जा सके।
विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, मॉस्को में भारतीय दूतावास ने रूस के अभियोजन महान्यायवादी के कार्यालय से सहायता मांगी है। रिपोर्ट में बताया गया कि 17 अक्टूबर को भारत और रूस के बीच आपसी कानूनी सहायता संधि (MLAT) के तहत एक नया अनुरोध भेजा गया है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी, जो केंद्र की ओर से पेश हुईं, ने अदालत को बताया कि विदेश मंत्रालय दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर जांच कर रहा है और नेपाल के रास्ते रूस भागने की जानकारी के बाद नेपाल सरकार से भी एमएलएटी चैनल के माध्यम से संपर्क किया गया है।
पीठ ने यह भी नोट किया कि रूसी दूतावास के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से महिला अपने बच्चे के साथ नेपाल और शारजाह होते हुए रूस भागने में सफल रही। दिल्ली पुलिस ने रूसी अधिकारियों को नोटिस भेजे, लेकिन “कोई ठोस परिणाम” नहीं मिला।
महिला 2019 से भारत में एक्स-1 वीजा पर रह रही थी, जिसे अदालत के आदेश पर बार-बार बढ़ाया गया था।
अदालत ने कहा,
“हम ऐसा कोई आदेश नहीं देना चाहते जिससे भारत और रूस के संबंधों को ठेस पहुंचे, लेकिन मामला एक बच्चे से जुड़ा है। हमें उम्मीद है कि बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित होगा, क्योंकि वह अपनी मां के साथ है। आशा है कि यह मानव तस्करी का मामला नहीं है।”
भाटी ने बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से रूसी अधिकारियों से बात की, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
उन्होंने कहा, “रूसी पक्ष से जानकारी नहीं मिल रही है, जबकि कई प्रयास किए गए हैं।”
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि रूस के स्बरबैंक की नई दिल्ली शाखा को उस क्रेडिट कार्ड के बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया था जिससे टिकट बुक किए गए थे, लेकिन बैंक ने “बैंकिंग गोपनीयता कानून” का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया।
अदालत के निर्देश
पीठ ने कहा कि विदेश मंत्रालय और दिल्ली पुलिस को सुनवाई के दौरान सुझाए गए सभी विकल्पों पर विचार कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि दो हफ्तों में स्थिति रिपोर्ट (स्टेटस रिपोर्ट) दाखिल की जाए।
इससे पहले 21 जुलाई को अदालत को बताया गया था कि महिला अपने बच्चे के साथ नेपाल सीमा पार कर रूस चली गई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे “गंभीर अवमानना (gross contempt of court)” और “अस्वीकार्य स्थिति” बताया था।
महिला और उसके भारतीय पति के बीच बच्चे की अभिरक्षा को लेकर विवाद चल रहा था। 22 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बच्चे की तीन दिन (सोमवार, मंगलवार, बुधवार) की अभिरक्षा मां को और शेष चार दिन पिता को दी जाए।
बाद में महिला ने अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए बच्चे के साथ देश छोड़ दिया। पिता ने अदालत को बताया कि बच्चे और महिला दोनों का पता अज्ञात है।
अब यह मामला भारत-रूस आपसी कानूनी सहायता संधि (MLAT) के तहत एक अंतरराष्ट्रीय अभिरक्षा विवाद का रूप ले चुका है, जिसमें भारतीय एजेंसियाँ बच्चे की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के प्रयास में जुटी हैं।




