राजधानी में खराब मौसम और गंभीर वायु प्रदूषण को देखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध मामलों में वकीलों और पक्षकारों को, जहां सुविधाजनक हो, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाइब्रिड मोड में पेश होने की सलाह दी है।
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की ओर से रविवार को जारी एक परिपत्र में कहा गया कि “प्रचलित मौसम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने, यदि सुविधाजनक हो, तो बार के सदस्यों/पक्षकारों को उनके मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के जरिए हाइब्रिड मोड अपनाने की सलाह दी है।”
यह सलाह ऐसे समय आई है, जब दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच गई है। रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 461 दर्ज किया गया, जो इस सर्दी का सबसे प्रदूषित दिन रहा और दिसंबर महीने में अब तक का दूसरा सबसे खराब स्तर बताया गया। कमजोर हवाओं और कम तापमान के कारण प्रदूषक जमीन के पास ही फंसे हुए हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, AQI शून्य से 50 ‘अच्छा’, 51 से 100 ‘संतोषजनक’, 101 से 200 ‘मध्यम’, 201 से 300 ‘खराब’, 301 से 400 ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस स्तर के प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं।
इससे पहले 26 नवंबर को, चुनाव आयोग द्वारा तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान CJI ने वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव का उल्लेख किया था। सुनवाई की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि एक दिन पहले एक घंटे की सैर के बाद उन्हें अस्वस्थ महसूस हुआ।
वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट हाइब्रिड प्रणाली के तहत कार्य करता है, जिसमें भौतिक और वर्चुअल दोनों माध्यमों से सुनवाई होती है। इससे पहले 13 नवंबर को न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा ने भी दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु गुणवत्ता का हवाला देते हुए वकीलों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के बजाय वर्चुअल माध्यम अपनाने की सलाह दी थी।

