सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश में बिगड़ते पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय हालात से संबंधित सुओ मोटो मामले में वह 23 सितंबर को आदेश सुनाएगा।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने राज्य का पक्ष रख रहे वकीलों से कहा, “मामले को 23 सितंबर को आदेश के लिए सूचीबद्ध करें। हम सब कुछ संक्षेप में बताकर आपको स्पष्ट दिशा-निर्देश देंगे।”
सुनवाई के दौरान हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि राज्य की ओर से विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर, जो इस मामले में अमिकस क्यूरी के रूप में अदालत की सहायता कर रहे हैं, ने बताया कि राज्य की रिपोर्ट में कई पहलुओं को शामिल किया गया है, जिनमें वृक्ष आवरण (ट्री कवर) भी शामिल है।
इससे पहले, 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने टिप्पणी की थी कि यदि हालात नहीं बदले तो हिमाचल प्रदेश “हवा में गायब हो जाएगा।” अदालत ने कहा था कि जलवायु परिवर्तन का राज्य पर “स्पष्ट और चिंताजनक प्रभाव” पड़ रहा है और पर्यावरणीय स्थिति तेजी से बिगड़ रही है।
अब अदालत का आगामी आदेश हिमाचल प्रदेश में गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस दिशा-निर्देश तय कर सकता है।




