सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तीन विशेष बख्तरबंद डीजल वाहनों के पंजीकरण के लिए पांच साल का विस्तार मंजूर किया। यह फैसला जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस मनमोहन द्वारा एसपीजी की याचिका की समीक्षा के बाद आया, जिसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के एक पूर्व फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें वाहनों के एक दशक से अधिक पुराने होने के कारण विस्तार से इनकार किया गया था।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एसपीजी की तकनीकी रसद में इन वाहनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, और प्रधानमंत्री की सुरक्षा सुनिश्चित करने में इनके अपरिहार्य उपयोग के लिए तर्क दिया। एनजीटी ने इससे पहले 22 मार्च को पर्यावरण मानकों का पालन करते हुए विस्तार को खारिज कर दिया था, जो प्रदूषण संबंधी चिंताओं के कारण दस साल बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में डीजल वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध लगाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एनजीटी के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें एसपीजी की अनूठी आवश्यकताओं और पिछले एक दशक में इन वाहनों के सीमित उपयोग को ध्यान में रखा गया है। न्यायालय ने इन वाहनों की विशिष्ट प्रकृति और उनके द्वारा किए जाने वाले महत्वपूर्ण सुरक्षा कार्यों को स्वीकार किया। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के 2018 के अपने आदेश के बावजूद आया है, जिसमें वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के 2015 के एनजीटी के निर्देश को सुदृढ़ किया गया था।