सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका खारिज कर दी जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही सीधी नकद लाभ (Direct Cash Benefit), फ्रीबी (Freebies) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के दीर्घकालिक आर्थिक प्रभावों का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने संक्षेप में कहा, “हम इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। यह रिट याचिका खारिज की जाती है।”
याचिका में अनुरोध किया गया था कि केंद्र और अन्य प्राधिकरण इस प्रकार की योजनाओं को तब तक लागू न करें जब तक उनका उपयुक्त आर्थिक या वित्तीय मूल्यांकन विशेषज्ञों द्वारा न करवा लिया जाए, और उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), नीति आयोग और राज्य योजना प्राधिकरणों की स्वीकृति प्राप्त न हो।

इसके साथ ही याचिका में यह भी मांग की गई थी कि ऐसी योजनाओं पर होने वाला कुल व्यय राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP), स्वयं के कर संग्रहण या राजस्व व्यय — जो भी न्यूनतम हो — के एक प्रतिशत तक सीमित किया जाए।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि इन योजनाओं को बिना उचित मूल्यांकन और नियंत्रण के लागू करने से वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है और इससे स्वास्थ्य, शिक्षा तथा बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए संसाधनों का आवंटन प्रभावित हो सकता है।