सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी जिसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित तौर पर ज़हरीली कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के बाद दवा सुरक्षा तंत्र में जांच और व्यापक सुधार की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की आपत्ति के बाद खारिज कर दिया।
सुनवाई की शुरुआत में पीठ नोटिस जारी करने के पक्ष में दिखी, लेकिन मेहता की दलीलें सुनने के बाद उसने याचिका खारिज कर दी।

मेहता ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले में किसी राज्य की ओर से पेश नहीं हो रहे हैं, लेकिन तमिलनाडु और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों द्वारा उठाए जा रहे कदमों की गंभीरता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्यों में इस तरह के मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त कानूनी तंत्र मौजूद है।
उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अक्सर अखबार में खबर पढ़कर तुरंत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देते हैं।
पीठ ने तिवारी से पूछा कि उन्होंने अब तक कितनी जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं। जब उन्होंने बताया कि आठ से दस याचिकाएं दायर की हैं, तो मुख्य न्यायाधीश ने संक्षेप में कहा, “खारिज।”
इस याचिका में न्यायिक जांच और दवा सुरक्षा तंत्र को मज़बूत करने के लिए न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया।