ताजमहल की पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) को उत्तर प्रदेश में स्मारक के आसपास स्थित कांच उद्योगों के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने यह निर्देश देते हुए NEERI से अपेक्षा की कि वह इस मूल्यांकन को पूरा करने की समयसीमा को स्पष्ट करते हुए एक हलफनामा दाखिल करे।
पीठ ने यह भी कहा कि इस कार्य में सभी संबंधित सरकारी एजेंसियों, विशेष रूप से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, को पूरा सहयोग देना होगा ताकि मूल्यांकन कार्य बाधित न हो। अदालत ने स्पष्ट किया, “हम जानना चाहते हैं कि इन उद्योगों से कितना प्रदूषण हो रहा है। यदि यह सामने आता है कि ये उद्योग ताजमहल को प्रदूषित कर रहे हैं, तो हम इन्हें स्थानांतरित करने से नहीं हिचकेंगे।”

इसके अतिरिक्त, अदालत ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वह राज्य द्वारा दाखिल हलफनामे में उल्लिखित उद्योगों की जांच के लिए एक टीम गठित करे। यह टीम इन उद्योगों से होने वाले प्रदूषण के स्तर की जांच करेगी और अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। पीठ ने कहा, “पांच उद्योगों का अध्ययन पूरा होने के बाद, बोर्ड अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करे ताकि उचित निर्देश जारी किए जा सकें।”
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ताज ट्रेपेजियम ज़ोन (TTZ) प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुका है और ताजमहल के आसपास पर्यावरण संरक्षण की प्रभावशीलता को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर कर चुका है। अदालत ने संकेत दिया था कि मौजूदा प्रयास ताजमहल की रक्षा के लिए पर्याप्त नहीं हैं।