सुप्रीम कोर्ट ने भारत के सभी हाई कोर्ट्स को जिला न्यायपालिका की सेवा शर्त समिति (Committee for Service Conditions of the District Judiciary – CSCDJ) गठित करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन केस में जनवरी 2024 में दिए गए दिशानिर्देशों के तहत जारी किया गया है। यह आदेश मंगलवार, 21 जनवरी को जारी किया गया, जिसका उद्देश्य द्वितीय राष्ट्रीय न्यायाधीश वेतन आयोग (Second National Judges Pay Commission – SNJPC) के कार्यान्वयन से संबंधित न्यायिक अधिकारियों की शिकायतों का समाधान करना है।
जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने यह निर्णय वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर लिया, जो इस मामले में एमिकस क्यूरी हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि कई हाई कोर्ट्स ने अभी तक अपनी CSCDJ का गठन नहीं किया है और जिन हाई कोर्ट्स ने इसे गठित किया है, वहां नियमित बैठकें आयोजित नहीं की जा रही हैं। इस निष्क्रियता के कारण न्यायिक अधिकारी अपनी व्यक्तिगत शिकायतों को लेकर सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर रहे हैं।
खंडपीठ ने इस मुद्दे को हल करने के लिए हाई कोर्ट्स द्वारा समितियों की स्थापना को अनिवार्य बताया। कोर्ट ने कहा, “हम सभी हाई कोर्ट्स से अनुरोध करते हैं कि इस कोर्ट द्वारा 04.01.2024 को दिए गए निर्देशों को लागू करें। जिन हाई कोर्ट्स ने अभी तक CSCDJ का गठन नहीं किया है, वे इसे आज से चार सप्ताह के भीतर गठित करें।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि हाई कोर्ट्स नोडल अधिकारियों की नियुक्ति चार सप्ताह के भीतर करें। ये अधिकारी सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश होंगे, जिन्हें हाई कोर्ट परिसर में कार्यालय स्थान दिया जाएगा और ₹75,000 मासिक मानदेय, पेंशन के अतिरिक्त दिया जाएगा। नोडल अधिकारियों को विभिन्न हाई कोर्ट बेंचों का दौरा कर न्यायिक अधिकारियों की शिकायतों का समाधान करना होगा। इनके यात्रा व्यय संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन किए जाएंगे।
CSCDJ को प्रत्येक तीन महीने में एक बार बैठक आयोजित करनी होगी। इन बैठकों में किए गए निर्णयों को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तीन महीने के भीतर लागू किया जाना चाहिए। यदि कोई न्यायिक अधिकारी इन निर्णयों से असंतुष्ट हैं, तो वे सीधे हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और सभी हाई कोर्ट्स के रजिस्ट्रार जनरल्स को यह आदेश भेजने का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य देश की जिला न्यायपालिका के लिए शिकायत निवारण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, जिससे सुप्रीम कोर्ट पर पड़ने वाले बोझ को कम किया जा सके।