सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम के कोकराझार ज़िले के गोसाईगांव कॉलेज के प्रोफेसर मोहम्मद जयनल अबेदीन को अंतरिम ज़मानत देने से इंकार कर दिया। उन्हें सोशल मीडिया पर भारत-विरोधी और अश्लील टिप्पणियां करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने अबेदीन पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि वह “विकृत मानसिकता का व्यक्ति” है और “कॉलेज की छात्राओं के लिए खतरा” है।
बेंच ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा, “आप सोशल मीडिया पर महिलाओं को परेशान करने और अश्लील टिप्पणियां करने के आदी हैं। आप एक विकृत व्यक्ति हैं और कॉलेज की युवतियों के लिए खतरा हैं। आप किस तरह के प्रोफेसर हैं? आप ‘प्रोफेसर’ शब्द के लिए शर्म हैं। आपको कॉलेज में प्रवेश की अनुमति नहीं होनी चाहिए।”
बेंच ने प्रोफेसर के सोशल मीडिया पोस्ट देखने के बाद कहा कि उसमें इस्तेमाल की गई भाषा “चौंकाने वाली” है और वह “गंदी मानसिकता” वाला व्यक्ति है जो “समाज के लिए खतरा” है। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “क्या हम आपसे यह पोस्ट ज़ोर से पढ़ने को कहें ताकि सब समझें कि उसमें क्या लिखा है?”
अबेदीन के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने अपनी गलती स्वीकार की है और जैसे ही उन्हें एहसास हुआ कि उनका पोस्ट देशहित के विरुद्ध है, उन्होंने उसे हटा दिया। उन्होंने कहा कि अबेदीन अपनी नौकरी भी खो चुके हैं और अदालत जो भी शर्त लगाएगी, उसका पालन करेंगे।
वकील ने यह भी कहा कि मामले में चार्जशीट दाख़िल हो चुकी है, लेकिन पिछले छह महीनों से गोसाईगांव अदालत में कोई न्यायिक अधिकारी नियुक्त नहीं होने के कारण मुकदमे की सुनवाई शुरू नहीं हो पाई है।
वहीं असम सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आरोपी “आदतन अपराधी” है और सोशल मीडिया पर कई बार आपत्तिजनक पोस्ट कर चुका है।
बेंच ने न्यायिक अधिकारी के न होने पर चिंता जताते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वे इस मामले में संज्ञान लें और या तो गोसाईगांव अदालत में एक न्यायिक अधिकारी की तैनाती करें या फिर मामला कोकराझार ज़िले की सेशंस कोर्ट में स्थानांतरित करें।
बेंच ने कहा, “हम अंतरिम ज़मानत की संभावना बाद में देखेंगे,” और फिलहाल मामले को लंबित रखा।
मोहम्मद जयनल अबेदीन को 16 मई को सोशल मीडिया पर भारत-विरोधी टिप्पणियां करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदालत की सख़्त टिप्पणियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि शिक्षकों जैसी जिम्मेदार भूमिका में रहने वाले व्यक्तियों से समाज को उच्च आचरण की उम्मीद रहती है।




