सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया कि सभी राज्य बार काउंसिलों के चुनाव 31 जनवरी 2026 तक पूरे किए जाएं, चाहे वे एक साथ हों या चरणबद्ध तरीके से। कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी कि यदि समय पर चुनाव नहीं कराए गए तो वह कोर्ट आयोग नियुक्त कर सकती है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ सुनवाई कर रही थी। यह मामला अधिवक्ताओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों और बार काउंसिलों के कामकाज से संबंधित है।
BCI की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गुरु कृष्णकुमार ने चुनाव की समय-सीमा मार्च 2026 तक बढ़ाने का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने इसे खारिज कर दिया।

“राज्य बार काउंसिलों के चुनाव कई वर्षों से नहीं हुए हैं… हमने वरिष्ठ अधिवक्ता गुरु कृष्णकुमार से कहा है कि सभी चुनाव 31 जनवरी 2026 तक कराए जाएं। अगर कोई राज्य बार काउंसिल अनिच्छा दिखाती है, तो BCI 31 अक्टूबर 2025 तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे,” कोर्ट ने आदेश में कहा।
अदालत की कड़ी चेतावनी
कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि चुनाव समय पर नहीं होते, तो वह हस्तक्षेप करेगी:
“सभी राज्य बार काउंसिलों के चुनाव जल्द कराएं। वरना हम कोर्ट आयोग नियुक्त करेंगे। जो भाग नहीं लेंगे, उन्हें अलग कर देंगे। हमारे इरादे स्पष्ट हैं,” न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा।
BCI के वकील ने बताया कि 31 जुलाई को सभी राज्य बार काउंसिलों को चुनाव की तैयारी शुरू करने के लिए पत्र लिखा गया था। अभी तक सिर्फ 7–8 काउंसिलों ने जवाब दिया है।
“दो हफ्तों में चुनाव कराए जा सकते हैं”
तेलंगाना बार काउंसिल की ओर से समय-सीमा फरवरी 2026 तक बढ़ाने की मांग की गई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
“ईमानदारी से कहें तो अगर आप करना चाहें, तो दो हफ्तों में चुनाव हो सकते हैं। आखिरकार अधिवक्ता ही मतदाता हैं… 31 जनवरी अच्छा समय है,” कोर्ट ने टिप्पणी की।
कर्नाटक बार काउंसिल मामला भी जुड़ा
कर्नाटक उच्च न्यायालय में भी इसी विषय पर याचिका लंबित है, जिसमें वहां की अस्थायी बार काउंसिल को भंग कर पूर्ण बार काउंसिल गठित करने की मांग की गई है। 22 सितंबर को हाईकोर्ट को बताया गया कि अंतिम मतदाता सूची जल्द जारी होगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मद्देनज़र कोई तारीख तय नहीं की गई।