तेलंगाना हाईकोर्ट के जज पर आरोप लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और वकीलों को जारी किया अवमानना नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलंगाना हाईकोर्ट के एक वर्तमान जज के खिलाफ “अशोभनीय और आपत्तिजनक आरोप” लगाने को लेकर एक याचिकाकर्ता और उसकी कानूनी टीम को अवमानना के नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने याचिका वापस लेने की मांग भी खारिज कर दी और कहा कि मुकदमेबाज़ी की आड़ में इस तरह का आचरण स्वीकार्य नहीं हो सकता।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ, याचिकाकर्ता एन. पेड्डी राजू द्वारा दायर एक ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड रितेश पाटिल के माध्यम से दायर की गई थी, जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी से संबंधित एक मामला स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। मुख्यमंत्री को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली थी।

READ ALSO  जम्मू-कश्मीर में कृषि विश्वविद्यालय के 7 छात्रों के खिलाफ यूएपीए के आरोप हटाए गए, अदालत ने जमानत दी

याचिकाकर्ता ने उस हाईकोर्ट जज पर पक्षपात और अनुचित आचरण के आरोप लगाए थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ आपराधिक मामला रद्द किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में इस्तेमाल की गई भाषा और आरोपों पर कड़ा ऐतराज जताया।

Video thumbnail

पीठ ने याचिकाकर्ता और उसके वकीलों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा:

“हम जजों को खुले निशाने पर नहीं छोड़ सकते और किसी भी याचिकाकर्ता को जज के खिलाफ इस तरह के आरोप लगाने की अनुमति नहीं दे सकते। यहां हम वकीलों की रक्षा करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन इस तरह के आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

यह टिप्पणी पीठ द्वारा हाल ही में एक स्वतः संज्ञान मामले में दी गई उस स्थिति की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा वरिष्ठ वकीलों को उनके कानूनी परामर्श को लेकर तलब करने पर अदालत ने वकीलों के पक्ष में रक्षात्मक रुख अपनाया था। लेकिन वर्तमान मामले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह का आचरण पेशेवर जिम्मेदारी की सीमा लांघता है।

READ ALSO  महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पेशी दी।

अब यह मामला अवमानना के पहलू पर आगे बढ़ेगा, जिसमें याचिकाकर्ता और उसके वकीलों को यह स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने हाईकोर्ट के वर्तमान जज के खिलाफ आधारहीन और मानहानिपूर्ण आरोप क्यों लगाए और क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।

Ad 20- WhatsApp Banner
READ ALSO  अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन पर विचार करते समय परिवार की आय का आकलन करते समय मृत कर्मचारी की पारिवारिक पेंशन पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है: मद्रास हाईकोर्ट

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles