हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उम्मीदवारों की जांच प्रक्रिया को और अधिक कठोर बना दिया है। यह बदलाव न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से जुड़ी हालिया विवादास्पद घटना के बाद किया गया है, जिनके आवास से कथित तौर पर बेहिसाब नकदी मिलने की खबरें सामने आई थीं।
कॉलेजियम, जिसमें वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ शामिल हैं, ने 1 जुलाई मंगलवार से मध्य प्रदेश, पटना और इलाहाबाद सहित विभिन्न हाईकोर्टों में रिक्त पदों को भरने के लिए उम्मीदवारों से लंबी बैठकें और साक्षात्कार शुरू कर दिए हैं। ये बैठकें बुधवार तक चलीं।
सूत्रों के अनुसार, प्रत्येक उम्मीदवार से लगभग आधे घंटे तक गहन चर्चा की जा रही है, जिसमें उनके कार्यक्षेत्र और अनुभव की गहराई से समीक्षा की जा रही है। ये साक्षात्कार भौतिक रूप से और वर्चुअल मोड दोनों में हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान भी कॉलेजियम द्वारा की जा रही ये प्रशासनिक गतिविधियां नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीरता को दर्शाती हैं।

हालांकि व्यक्तिगत बातचीत की प्रक्रिया पहले से मौजूद थी, लेकिन वर्तमान कॉलेजियम ने इसे अधिक कठोर और विस्तृत बना दिया है। पूर्व में कॉलेजियम राज्य सरकारों, संबंधित हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदस्थ जजों और खुफिया ब्यूरो (IB) की रिपोर्ट्स पर अधिक निर्भर करता था। परंतु हाल के वर्षों में, खासकर पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के कार्यकाल के दौरान, व्यक्तिगत बातचीत को अनिवार्य कर दिया गया था। अब यह प्रक्रिया और भी विस्तार में की जा रही है।
1 जुलाई 2025 की स्थिति के अनुसार देश की 25 हाईकोर्टों में कुल 371 पद रिक्त हैं।