सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व मणिपुर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की कथित भूमिका वाले ऑडियो रिकॉर्डिंग्स की जाँच के संबंध में केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (CFSL) पर कड़ी नाराज़गी जताई। अदालत ने कहा कि प्रयोगशाला ने अदालत के निर्देशों के बजाय क्लिप्स की प्रामाणिकता जाँचने का “मिसडायरेक्टेड” (ग़लत दिशा में) प्रयास किया।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, “हमने वीडियो की प्रामाणिकता की जाँच करने के लिए नहीं कहा था। हम केवल यह जानना चाहते थे कि स्वीकार्य आवाज़ के नमूने से मिलान करने पर क्या यह कहा जा सकता है कि दोनों में वही व्यक्ति बोल रहा है या नहीं?”
पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, “हमें वीडियो की प्रामाणिकता की स्थापना नहीं चाहिए। पूरी जाँच ही ग़लत दिशा में की गई है। केवल आधे-अधूरे जवाब दिए जा रहे हैं। CFSL को यह भ्रम है कि हमें जानना है वीडियो असली है या नहीं।”

इसके साथ ही, अदालत ने सिंह की बेटी की याचिका भी ख़ारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मामले में पक्षकार बनने की मांग की थी। अदालत ने तीखी टिप्पणी की—“यह कोई परिवार सहयोग कार्यक्रम नहीं है।”
कुकी ऑर्गनाइजेशन फ़ॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने स्वतंत्र एसआईटी जांच की मांग की। उन्होंने दलील दी कि CFSL उसी सरकार के अधीन काम करता है, जिससे सिंह जुड़े थे।
इस पर पीठ ने कहा, “आप हर संगठन की नीयत पर प्रशासनिक नियंत्रण के आधार पर शक नहीं कर सकते। फिर तो हमें कोई संगठन विदेश से बुलाना पड़ेगा।”
मामले की अगली सुनवाई अब 25 अगस्त को होगी, क्योंकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता किसी अन्य अदालत में व्यस्त थे।
5 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने लीक ऑडियो पर एक फॉरेंसिक रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए मणिपुर सरकार से नई रिपोर्ट मांगी थी। अदालत ने CFSL से सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
8 नवंबर 2023 को तत्कालीन सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने KOHUR को लीक रिकॉर्डिंग्स की प्रामाणिकता सिद्ध करने वाला सामग्री प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
ऑडियो क्लिप्स में कथित तौर पर सिंह को मैतेई समूहों को सरकारी हथियारगृह लूटने और कुकी-ज़ो समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने की अनुमति देते सुना गया है। भूषण ने इसे “बेहद गंभीर” और “चिंताजनक” बताया और राज्य मशीनरी की मिलीभगत का आरोप लगाया।
KOHUR की याचिका में कहा गया है कि सिंह ने “कुकी बहुल इलाकों में बड़े पैमाने पर हत्या, हिंसा और विनाश भड़काने, संगठित करने और उसका केंद्रीय संचालन करने में अहम भूमिका निभाई।”
मई 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था, जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर तनाव भड़का। इसके बाद से राज्य में जातीय हिंसा फैल गई, जिसमें 260 से अधिक लोग मारे गए और हज़ारों विस्थापित हुए।