सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में जारी किए गए उपशामक (Palliative) देखभाल से संबंधित दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन की स्थिति पर तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत जानकारी अदालत को उपलब्ध कराए।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। यह याचिका सरकार और अधिकारियों को निर्देश देने के लिए दायर की गई है ताकि घातक बीमारियों से पीड़ित रोगियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत उपशामक देखभाल उपलब्ध कराई जा सके। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की है।
उपशामक देखभाल गंभीर या असाध्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को विशेष चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने से संबंधित है, जिनका उद्देश्य रोग को ठीक करना नहीं बल्कि रोगी के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना होता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी, जो याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुईं, ने पीठ को बताया कि 2017 में जारी नेशनल प्रोग्राम फॉर पेलिएटिव केयर दिशानिर्देशों के तहत केंद्र और राज्यों को जिला स्तर पर उपशामक देखभाल टीमों और राज्य स्तर पर “पेलिएटिव प्रोटेक्शन सेल” स्थापित करना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में एक संक्षिप्त हलफनामा दायर किया है, लेकिन उसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि दिशानिर्देशों का पालन कितनी हद तक और किन राज्यों में किया गया है।
उन्होंने कहा, “दिशानिर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि जिला स्तर पर पेलिएटिव केयर टीम बनानी होगी और हर राज्य में एक स्टेट पेलिएटिव प्रोटेक्शन सेल होना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि कितने राज्यों ने यह सेल स्थापित किया है।” कोठारी ने यह भी कहा कि केंद्र को यह जानकारी भी देनी चाहिए कि कितने सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में पेलिएटिव केयर टीमें कार्यरत हैं।
पीठ ने रिकॉर्ड में दर्ज किया कि 2017 के दिशानिर्देशों की प्रति केंद्र और राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों को उपलब्ध कराई गई है।
पीठ ने आदेश में कहा,
“भारत संघ की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकील को तीन सप्ताह का समय दिया जाता है ताकि वे न केवल केंद्र सरकार के स्तर पर बल्कि राज्यों से भी आवश्यक आंकड़े एकत्र कर इन दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन की स्थिति से इस न्यायालय को अवगत करा सकें।”
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2024 में इस मामले पर केंद्र और अन्य पक्षों से जवाब मांगा था। उस समय अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह उपशामक देखभाल के प्रशासन के लिए लागू नीतियों और उठाए गए कदमों का विस्तृत हलफनामा दाखिल करे।