सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया की एजीआर मांगों पर केंद्र को पुनर्विचार की अनुमति दी


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की याचिका पर पुनर्विचार करने की अनुमति दी है, जिसमें कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा वर्ष 2016–17 तक की अतिरिक्त समायोजित सकल राजस्व (AGR) मांगों को रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि यह मुद्दा नीतिगत क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश वोडाफोन आइडिया द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। कंपनी का कहना था कि दूरसंचार विभाग द्वारा की गई नई एजीआर मांगें अस्थिर हैं क्योंकि उसकी देनदारियां पहले ही वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत तय हो चुकी हैं।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट में 150 से ज़्यादा स्टाफ़ कोरोना संक्रमित- SCBA ने वकीलों को हाई-सुरक्षा ज़ोन में प्रवेश ना करने कि दी सलाह

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की ओर से अदालत को बताया कि सरकार अब वोडाफोन आइडिया में 49% हिस्सेदारी रखती है और करीब 20 करोड़ उपभोक्ता इसकी सेवाओं पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों को देखते हुए सरकार कंपनी द्वारा उठाए गए मुद्दों की समीक्षा करने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने को तैयार है।

Video thumbnail

पीठ ने यह दर्ज किया कि,

“परिस्थितियों में आए परिवर्तन — यानी केंद्र द्वारा 49 प्रतिशत इक्विटी अधिग्रहण और 20 करोड़ उपभोक्ताओं द्वारा कंपनी की सेवाओं का उपयोग — को देखते हुए केंद्र सरकार कंपनी द्वारा उठाए गए मुद्दों की जांच करने के लिए तैयार है।”

READ ALSO  क्या मुख्यमंत्री की बेटी की कंपनी के खिलाफ किसी एसएफआईओ जांच के आदेश दिए गए हैं? केरल हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा

मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि सरकार ने कंपनी में पर्याप्त इक्विटी निवेश किया है और इस मुद्दे पर लिया गया कोई भी निर्णय “20 करोड़ उपभोक्ताओं पर सीधा असर डालेगा।” उन्होंने जोड़ा,

“हम यह नहीं देखते कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और उचित कदम उठाने से क्यों रोका जाए।”

पीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला नीतिगत निर्णय का है और कहा,

“इस दृष्टिकोण से, केंद्र को ऐसा करने से रोकने का कोई कारण नहीं है।”

सीनियर अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने वोडाफोन आइडिया की ओर से दलील दी कि वर्ष 2016–17 के लिए DoT की ₹5,606 करोड़ की अतिरिक्त मांग अस्थिर है क्योंकि देनदारियां पहले ही वर्ष 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तय हो चुकी हैं।

READ ALSO  बलात्कार पीड़िता की आत्मा को अपमानित करता है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बाल यौन उत्पीड़न के लिए 20 साल की सजा बरकरार रखी

एजीआर (Adjusted Gross Revenue) वह राजस्व राशि है, जिसके आधार पर टेलीकॉम कंपनियां सरकार को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क का भुगतान करती हैं। एजीआर में गैर-टेलीकॉम आय को शामिल करने को लेकर शुरू हुआ यह विवाद वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल जैसी प्रमुख कंपनियों पर भारी वित्तीय बोझ लेकर आया था।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles