सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। कंपनियों ने ₹40,000 करोड़ से अधिक की ब्याज, जुर्माना और उस पर ब्याज की देनदारी से राहत मांगी थी।
न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि एजीआर मामले में 2019 के ऐतिहासिक फैसले को दोहराया जाएगा और बकायों की फिर से गणना या पुनर्मूल्यांकन की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पृष्ठभूमि: दो दशकों से चला आ रहा विवाद
टेलीकॉम कंपनियों और दूरसंचार विभाग (DoT) के बीच एजीआर की परिभाषा को लेकर विवाद लगभग दो दशकों से चला आ रहा है। सरकार का कहना था कि एजीआर में केवल टेलीकॉम सेवाओं से प्राप्त राजस्व ही नहीं, बल्कि अन्य सभी स्रोतों – जैसे इंस्टॉलेशन चार्ज, डिविडेंड, मोबाइल हैंडसेट की बिक्री, वैल्यू-एडेड सेवाएं आदि – से प्राप्त आय भी शामिल होनी चाहिए।
अक्टूबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि टेलीकॉम कंपनियों को राजस्व साझाकरण मॉडल के तहत भारी लाभ हुआ है, फिर भी वे वैधानिक शुल्क चुकाने से बचती रहीं।
“2004 से 2015 के बीच सकल राजस्व के रुझानों से स्पष्ट है कि इस योजना से क्षेत्र को भारी लाभ हुआ… इसके बावजूद, टेलीकॉम सेवा प्रदाता सहमत एजीआर के आधार पर लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने से बचने लगे,” अदालत ने अपने 153-पृष्ठीय फैसले में कहा था।
दलीलें और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
कंपनियों ने अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का हवाला देते हुए राहत की मांग की थी। उनका कहना था कि आर्थिक संकट के दौर में एजीआर देनदारियों पर ब्याज और जुर्माने में राहत मिलनी चाहिए ताकि टेलीकॉम क्षेत्र की स्थिरता बनी रह सके।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा कि पहले दिए गए फैसलों को बदला नहीं जा सकता। अदालत ने जुलाई 2020 के आदेश को दोहराया जिसमें कहा गया था कि “टेलीकॉम कंपनियां एजीआर बकाया की गणना को लेकर कोई विवाद नहीं उठा सकतीं” और इस पर पुनर्मूल्यांकन की कोई गुंजाइश नहीं है।
“कोई भी टेलीकॉम ऑपरेटर दूरसंचार विभाग द्वारा अक्टूबर 2019 के इस न्यायालय के निर्णय के आधार पर तय की गई एजीआर देनदारी पर विवाद नहीं उठा सकता,” सुप्रीम कोर्ट ने फिर से स्पष्ट किया।
भुगतान की समयसीमा यथावत
सितंबर 2020 के आदेश के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया का भुगतान अप्रैल 1, 2021 से मार्च 31, 2031 तक 10% की वार्षिक किस्तों में करना होगा। आज के फैसले के बाद भी यह समयसीमा यथावत रहेगी।