सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन याचिकाओं के संचलन को नए दिशानिर्देशों के साथ पुनः लागू किया

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लेते हुए अदालत में मामलों की सुनवाई को स्थगित करने हेतु प्रस्तुत किए जाने वाले पत्रों (Adjournment Letters) के संचलन की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से पुनः लागू कर दिया है। यह निर्णय 17 मई 2025 को जारी एक परिपत्र (सर्कुलर) के माध्यम से घोषित किया गया, जिससे 14 फरवरी 2024 के पूर्ववर्ती निर्देशों में संशोधन किया गया है। यह परिवर्तन बार के सदस्यों, विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) द्वारा लंबे समय से की जा रही मांगों के फलस्वरूप किया गया है।

image 5

नई प्रक्रिया और समय-सीमा

रजिस्ट्रार (न्यायिक) कार्यालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, व्यक्तिगत रूप से उपस्थित पक्षकारों तथा एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड (AoRs) को अब सभी मामलों में (फिक्स्ड डेट या विशेष उल्लेख वाले मामलों को छोड़कर) स्थगन हेतु पत्र प्रेषित करने की अनुमति होगी, बशर्ते कि वह सुनवाई से पूर्व कार्यदिवस की सुबह 11:00 बजे तक भेज दिए जाएं।

Video thumbnail
image 6

हालांकि, इस पत्र को तभी स्वीकार किया जाएगा जब उस पर विपक्षी वकील या केविएटर (Caveator) की पूर्व स्वीकृति या ‘नो-ऑब्जेक्शन’ प्राप्त की गई हो। परिपत्र में स्पष्ट किया गया है, “जब तक विपक्षी पक्ष के अधिवक्ता/व्यक्तिगत रूप से उपस्थित पक्षकार/केविएटर की पूर्व सहमति या आपत्ति न होने का प्रमाण पत्र संलग्न नहीं होगा, तब तक ऐसा पत्र विचाराधीन नहीं होगा।”

वैध आधार एवं आवश्यक विवरण

READ ALSO  झारखंड हाईकोर्ट ने टीईटी परीक्षा में देरी पर सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्थगन अनुरोधों में कारण का स्पष्ट उल्लेख आवश्यक है, साथ ही यह भी बताया जाना चाहिए कि अब तक कितनी बार स्थगन मांगा गया है। वैध कारणों में पारिवारिक शोक, अधिवक्ता या पक्षकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या या कोई अन्य “प्रामाणिक कारण” शामिल हो सकता है जिसे न्यायालय उचित माने।

इन सभी पत्रों को परिशिष्ट ‘ए’ (Annexure A) में वर्णित प्रारूप में प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा, जिसमें केस की जानकारी, स्थगन का कारण, मांगी गई अवधि, विपक्षी पक्ष की सहमति की पुष्टि, और यदि कोई अंतरिम आदेश लंबित है तो उसकी स्थिति जैसी जानकारियाँ शामिल होंगी। यह पत्र ईमेल द्वारा adjournment.letter@sci.nic.in पर भेजा जाएगा।

प्रशासनिक पारदर्शिता और सूचना का प्रसार

READ ALSO  कोरोना की तीसरी लहर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला न्यायालयों का कामकाज किया सीमित, जारी किए नये दिशानिर्देश- जानिए यहाँ

रजिस्ट्रार कार्यालय ने यह भी निर्देश दिया है कि इस परिपत्र की पाँच प्रतियाँ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और SCAORA को भेजी जाएं तथा उन्हें अपने सूचना पट पर प्रदर्शित किया जाए। यह सूचना सुप्रीम कोर्ट के सभी संबंधित विभागों व बोर्डों के साथ साझा की गई है ताकि पारदर्शिता और जागरूकता सुनिश्चित की जा सके।

इस प्रक्रिया को एक संतुलित दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा है, जो न्यायिक दक्षता को बनाए रखते हुए मानवीय परिस्थितियों का भी ध्यान रखता है। यह अधिवक्ताओं और वादकारियों को समय पर राहत प्रदान करेगा, साथ ही प्रक्रिया की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व भी सुनिश्चित करेगा।

READ ALSO  ट्रिब्यूनल ने सड़क हादसे में मारे गए बढ़ई के परिजनों को ₹33.77 लाख मुआवजा देने का आदेश

परिपत्र की प्रमुख बातें:

  • स्थगन पत्र सुनवाई के पूर्व कार्यदिवस की सुबह 11:00 बजे तक स्वीकार्य (फिक्स्ड डेट/मेंशन वाले मामलों को छोड़कर)।
  • विपक्षी पक्ष की पूर्व सहमति अनिवार्य।
  • केवल वास्तविक कारण (जैसे शोक, चिकित्सा आपातकाल आदि) ही मान्य होंगे।
  • पत्र ईमेल द्वारा निर्धारित प्रारूप (Annexure A) में भेजना अनिवार्य।
  • कानूनी समुदाय विशेषकर SCAORA ने परिपत्र का स्वागत किया।

यह नया दिशा-निर्देश न्यायिक कार्यवाहियों को सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जिससे सभी पक्षों के लिए निष्पक्ष और समान अवसर सुनिश्चित होंगे।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles