बिहार वोटर लिस्ट पुनरीक्षण में आधार और राशन कार्ड को नकारना ‘स्पष्ट रूप से अनुचित’: एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

गैर-सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के दौरान आधार कार्ड और राशन कार्ड को मान्य पहचान पत्रों की सूची से बाहर रखना “स्पष्ट रूप से अनुचित” है और चुनाव आयोग ने इस फैसले के पक्ष में कोई तर्कसंगत कारण नहीं दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने प्रत्युत्तर में एनजीओ ने तर्क दिया कि आधार कार्ड को स्थायी निवास प्रमाण पत्र, ओबीसी/एससी/एसटी प्रमाण पत्र और पासपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों के लिए पहचान के रूप में स्वीकार किया जाता है। ऐसे में, “आधार कार्ड को अस्वीकार करना, जो देश में सबसे अधिक उपयोग में लाया जाने वाला दस्तावेज है, चुनाव आयोग की ओर से एक असंगत और अविवेकपूर्ण कदम है।”

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एनजीओ ने कहा कि चुनाव आयोग ने आधार और राशन कार्ड को खारिज करने का कोई वैध कारण नहीं बताया है। इसके साथ ही यह भी आशंका जताई कि चुनाव पंजीकरण अधिकारियों को बहुत अधिक और अनियंत्रित विवेकाधिकार दिए गए हैं, जिससे बिहार की एक बड़ी आबादी मतदाता सूची से बाहर हो सकती है।

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“24 जून, 2025 को जारी SIR आदेश यदि रद्द नहीं किया गया, तो यह लाखों नागरिकों को उनके प्रतिनिधियों को चुनने के संवैधानिक अधिकार से वंचित कर सकता है, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की प्रक्रिया और लोकतंत्र, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है, प्रभावित हो सकता है,” एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा।

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चुनाव आयोग ने SIR को उचित ठहराते हुए कहा था कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुद्धता को सुनिश्चित करती है।

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