बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को पुणे की एक 19 वर्षीय छात्रा को जमानत दे दी, जिसे भारत-पाकिस्तान संघर्ष (ऑपरेशन सिंदूर) से संबंधित एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि “राज्य ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी और उसे एक कट्टर अपराधी बना दिया।”
यह छात्रा, जो जम्मू-कश्मीर की मूल निवासी है, 2023 में पुणे आई थी और सिंघगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) की पढ़ाई कर रही है। 7 मई को उसने ‘रिफॉर्मिस्तान’ नामक इंस्टाग्राम अकाउंट से एक पोस्ट साझा की थी, जो भारत सरकार की आलोचना कर रही थी। उसे दो घंटे के भीतर ही अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने वह पोस्ट डिलीट कर दी, लेकिन तब तक उसे धमकियां मिलनी शुरू हो गई थीं।
9 मई को पुणे के कोंढवा पुलिस थाने में छात्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उसे गिरफ्तार कर येरवडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया।

इस बीच कॉलेज प्रशासन ने उसे यह कहते हुए निलंबित कर दिया कि उसने संस्था की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है और उसके कथित “राष्ट्रविरोधी विचार” समाज और परिसर के लिए खतरा हैं।
छात्रा ने अधिवक्ता फरहाना शाह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जिसमें गिरफ्तारी को चुनौती दी गई, कॉलेज की निलंबन कार्रवाई को रद्द करने और जमानत की मांग की गई।
कोर्ट ने सरकार की कार्रवाई को “बेहद चौंकाने वाला” और “अत्यधिक उग्र” बताया और कहा कि राज्य को छात्रा को सुधारने का मौका देना चाहिए था, न कि उसे अपराधी बना देना चाहिए था। कोर्ट ने कहा, “लड़की ने पोस्ट की, फिर खुद ही उसे डिलीट कर माफी मांगी, फिर भी उसे जेल भेज दिया गया।”
कोर्ट ने कॉलेज प्रशासन को भी फटकार लगाई और उसके निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया कि छात्रा को हॉल टिकट जारी किया जाए, यदि आवश्यक हो तो उसे अलग कक्षा में परीक्षा देने की अनुमति दी जाए और परिसर में सुरक्षा भी उपलब्ध कराई जाए। पुलिस को निर्देश दिया गया कि छात्रा को कॉलेज जाते समय पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए।
छात्रा को मंगलवार रात करीब 9:30 बजे येरवडा जेल से रिहा किया गया। उसकी रिहाई के समय उसका परिवार जेल के बाहर मौजूद था। अब वह बुधवार को कॉलेज जाकर परीक्षा की शेष औपचारिकताएं पूरी करेगी और 29 मई से शुरू होने वाली शेष परीक्षाओं में शामिल होगी।
हालांकि वह अपनी दो परीक्षाएं पहले ही चूक चुकी है, इस पर कोर्ट ने कहा कि छात्रा विश्वविद्यालय से विशेष अनुमति के लिए आवेदन कर सकती है क्योंकि परीक्षाएं कॉलेज द्वारा नहीं बल्कि पुणे विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की जाती हैं।
कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए छात्रा को भविष्य में जिम्मेदारी से सोशल मीडिया का उपयोग करने की चेतावनी दी और कहा कि ऐसे मामलों में राज्य को सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, न कि दंडात्मक।