राज्य भर्ती प्रक्रिया के दौरान आरक्षण श्रेणियों में बदलाव नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि एक बार भर्ती प्रक्रिया आरंभ हो जाने के बाद राज्य सरकार उसके बीच में आरक्षण श्रेणी में बदलाव नहीं कर सकती। यह फैसला Prabhjot Kaur बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य मामले में आया, जिसमें न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने ‘एससी स्पोर्ट्स (महिला)’ श्रेणी के अंतर्गत चयनित प्राभजोत कौर की अपील स्वीकार की और उनके चयन को सुरक्षित किया।

पृष्ठभूमि

यह मामला पंजाब लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन संख्या 08 दिनांक 04.06.2020 के माध्यम से शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया से संबंधित था, जिसमें 77 पदों में 26 पद उप पुलिस अधीक्षक (DSP) के लिए थे। इनमें से दो पद ‘अनुसूचित जाति खेल’ (SC Sports) श्रेणी के तहत आरक्षित थे। अपीलकर्ता प्राभजोत कौर और एक निजी प्रतिवादी ने इस श्रेणी के अंतर्गत आवेदन किया था।

बाद में, पंजाब सिविल सेवा (महिलाओं के लिए पदों का आरक्षण) नियम, 2020 के अधिसूचित होने के बाद, जिसमें महिलाओं के लिए 33% क्षैतिज आरक्षण अनिवार्य किया गया था, पहले के अधियाचन को वापस ले लिया गया। इसके पश्चात विज्ञापन संख्या 14 दिनांक 11.12.2020 जारी किया गया, जिसके अंतर्गत केवल एक पद ‘SC स्पोर्ट्स (महिला)’ श्रेणी के तहत DSP के लिए आरक्षित किया गया, जबकि दूसरा पद डिप्टी सुपरिटेंडेंट (जेल)/जिला परिवीक्षा अधिकारी के रूप में चिन्हित किया गया।

प्राभजोत कौर इस श्रेणी के अंतर्गत चयनित हो गईं और नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रही थीं। हालांकि, SC स्पोर्ट्स (पुरुष) श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले निजी प्रतिवादी ने इस आरक्षण को चुनौती दी, यह कहते हुए कि यह 29.01.2021 को जारी राज्य की रोस्टर प्रणाली के अनुरूप नहीं है।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने प्रतिवादी की याचिका खारिज कर दी, लेकिन डिवीजन बेंच ने राज्य के मुख्य सचिव के एक पत्र के आधार पर मामला पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया जिसमें कहा गया था कि ‘SC स्पोर्ट्स (महिला)’ श्रेणी के अंतर्गत आरक्षण त्रुटिपूर्ण था। इस आदेश को प्राभजोत कौर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

पक्षकारों की दलीलें

प्राभजोत कौर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. पटवालिया ने दलील दी कि वैध नियमों के तहत जब एक बार विज्ञापन जारी हो गया, तो भर्ती मानदंडों को प्रक्रिया के बीच में बदला नहीं जा सकता। उन्होंने K. Manjusree बनाम आंध्र प्रदेश राज्य, (2008) 3 SCC 512 और संविधान पीठ द्वारा अनुमोदित Tej Prakash Pathak बनाम राजस्थान उच्च न्यायालय, (2025) 2 SCC 1 का हवाला दिया।

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निजी प्रतिवादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने तर्क दिया कि विज्ञापन संख्या 14 में किया गया आरक्षण संशोधित 2020 नियमों और 29.01.2021 को लागू रोस्टर प्रणाली के विरुद्ध है, जिसमें SC स्पोर्ट्स श्रेणी के अंतर्गत महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं था।

पंजाब राज्य की ओर से अपर महाधिवक्ता रजत भारद्वाज ने कहा कि विज्ञापन में की गई श्रेणी निर्धारण एक क्लेरिकल त्रुटि थी और इसे सामान्य SC स्पोर्ट्स के रूप में माना जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण

सुप्रीम कोर्ट ने डिवीजन बेंच के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए कहा कि जब एक बार विज्ञापन संख्या 14 दिनांक 11.12.2020 को वैध नियमों के तहत जारी कर दिया गया, तो वही भर्ती प्रक्रिया को संचालित करता है। चूंकि न तो उस विज्ञापन और न ही नियमों को न्यायालय में चुनौती दी गई थी, इसलिए वही मान्य माने जाएंगे।

कोर्ट ने कहा कि 29.01.2021 को लागू हुआ रोस्टर सिस्टम उस प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकता जो कि 30.12.2020 की अंतिम आवेदन तिथि से पूर्व शुरू हो चुकी थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया:

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“जो पात्रता मानदंड भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत में अधिसूचित किए गए हैं, उन्हें प्रक्रिया के बीच में बदला नहीं जा सकता… जब तक कि नियमों या विज्ञापन द्वारा अनुमति न हो और वह भी अनुच्छेद 14 के तहत मनमानी न होने की कसौटी पर खरे उतरें।”

कोर्ट ने यह भी माना कि निजी प्रतिवादी ने बिना किसी आपत्ति के संपूर्ण चयन प्रक्रिया में भाग लिया और केवल मेरिट सूची घोषित होने के बाद ही आपत्ति उठाई।

निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा पारित आदेश दिनांक 18.07.2023 को रद्द कर दिया और एकल न्यायाधीश द्वारा 03.03.2023 को पारित आदेश को पुनः बहाल कर दिया। न्यायालय ने आदेश दिया कि नियुक्ति की प्रक्रिया तीन सप्ताह के भीतर पूरी की जाए।

उद्धरण: Prabhjot Kaur बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य, 2025 INSC 479

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