सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश, अदालत ने पुलिस को 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपने को कहा

सोशल मीडिया पर जातीय और धार्मिक विद्वेष फैलाने के गंभीर आरोपों को लेकर लखनऊ की एक अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (कस्टम), लखनऊ ने गोमतीनगर थाने को आदेश दिया है कि वह समाजवादी अधिवक्ता सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्ण कन्हैया पाल की ओर से दायर याचिका पर संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करे और नियमानुसार जांच कर 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करे।

याचिका का विवरण

कृष्ण कन्हैया पाल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” (पूर्व में ट्विटर) का उपयोग कर समाजवादी पार्टी और विशेष रूप से उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ झूठा, भ्रामक और सांप्रदायिक सामग्री प्रसारित कर रहे हैं।

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पाल ने दो प्रमुख X हैंडल्स —

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  1. @Dilipku24388061 (संचालक: दिलीप कुमार सिंह)
  2. @Arunkosli (संचालक: अरुण यादव)
    — के खिलाफ शिकायत की है। याचिका के अनुसार, इन हैंडल्स से दिनांक 20 मई 2025 को समाजवादी पार्टी प्रमुख की एक महिला (ज्योति मल्होत्रा) के साथ एडिट की गई फोटो पोस्ट की गई। इस महिला को हाल ही में देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
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घृणा फैलाने वाली भाषा

पोस्ट में प्रयुक्त भाषा को याचिकाकर्ता ने न केवल अपमानजनक बताया, बल्कि यह भी आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य समाजवादी पार्टी की छवि को धूमिल करना और दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यक वर्गों में नफरत फैलाना था। पोस्ट में लिखा गया था:

“देशद्रोही ज्योति जासूस समाजवादी पार्टी सुप्रीमो के साथ क्या कर रही है मित्रों, हम ये ही नहीं कहते, इन रूपाई यदमुल्लों को देशद्रोही सपा…”

न्यायालय का निर्देश

प्रस्तुत साक्ष्यों और तथ्यों पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा कि यह मामला गंभीर प्रकृति का है और प्रथम दृष्टया आपराधिक कृत्य प्रतीत होता है। न्यायालय ने थाना गोमतीनगर को निर्देशित किया कि वह इस मामले में भारतीय न्यायक संहिता (BNSS) की धारा 173(4) के तहत विधिक कार्यवाही करें, प्राथमिकी दर्ज कर उचित धाराओं में जांच प्रारंभ करें और 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करें।

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