वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बीच छह बीजेपी शासित राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर इस कानून के समर्थन में याचिकाएं दायर की हैं। मध्य प्रदेश, असम, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने अलग-अलग याचिकाओं में संशोधनों को वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए जरूरी बताया है।
आज दोपहर 2 बजे इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ के समक्ष होनी है। याचिकाओं में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दाखिल प्रमुख याचिका भी शामिल है, जिसमें नए वक्फ कानून को संविधान के खिलाफ बताया गया है।
राज्य सरकारों की दलीलें:
- हरियाणा ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में वर्षों से चल रही समस्याओं का हवाला देते हुए जैसे कि अधूरी संपत्ति सर्वेक्षण, रिकॉर्ड की कमी और लंबित मामलों को सुधार की तत्काल आवश्यकता बताया है।
- महाराष्ट्र ने संसद में हुई चर्चा, राष्ट्रीय परामर्शों और भारत में धार्मिक न्यास कानूनों की तुलना पर आधारित तथ्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखने की बात कही है।
- मध्य प्रदेश ने कानून में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने हेतु कानूनी रूप से मजबूत व तकनीक आधारित प्रणाली स्थापित करने के प्रयासों पर जोर दिया है।
- राजस्थान ने संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले सार्वजनिक सूचना देने की प्रक्रिया की जरूरत को रेखांकित करते हुए इसे पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाला बताया है।
- छत्तीसगढ़ ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और वक्फ संपत्तियों के डिजिटल प्रबंधन पोर्टल के संभावित लाभों को रेखांकित किया है।
- असम ने जनजातीय और अनुसूचित क्षेत्रों की भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित किए जाने से रोकने वाले प्रावधानों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह स्थानीय जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड भी बना पक्षकार
वहीं, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर कर कानून के समर्थन में दलीलें देने की अनुमति मांगी है। बोर्ड ने कहा है कि वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन और शासन व्यवस्था के लिए ये संशोधन आवश्यक हैं।
