सेंथिल बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, ‘कैश फॉर जॉब’ घोटाले में की गई टिप्पणियों को हटाने की मांग, निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को बताया खतरे में

पूर्व तमिलनाडु मंत्री वी. सेंथिल बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए 2022 के उस फैसले में की गई कठोर टिप्पणियों को हटाने की मांग की है, जिसमें उनके खिलाफ ‘कैश फॉर जॉब’ घोटाले में आपराधिक शिकायतों को बहाल किया गया था। बालाजी का कहना है कि ये टिप्पणियां उनके वर्तमान मुकदमे को पूर्वाग्रही बना सकती हैं और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को प्रभावित कर सकती हैं।

यह याचिका 8 सितंबर 2022 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश से जुड़ी है, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को पलटा गया था, जिसमें बालाजी के खिलाफ आपराधिक शिकायतों को कथित समझौते के आधार पर रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने तब पाया था कि बालाजी के परिवहन मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार के प्राथमिक साक्ष्य मौजूद हैं और कहा था कि जब सरकारी पद के दुरुपयोग की बात हो, तो ऐसे मामलों को समझौते या धनवापसी की तरह सिविल विवादों की तरह नहीं निपटाया जा सकता।

READ ALSO  करियर के अंतिम पड़ाव पर वकीलों के खिलाफ कार्रवाई करना कष्टदायक: जस्टिस बेला एम त्रिवेदी

सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था, “क्रिमिनल कानून का एक नौसिखिया भी पीसी एक्ट के अपराधों को अंतिम रिपोर्ट से बाहर नहीं रखता।” अदालत ने जांच अधिकारी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह “वार करना चाहता था लेकिन घाव देने से डरता था।” कोर्ट ने राज्य सरकार की जांच में पक्षपातपूर्ण रवैये की आलोचना करते हुए कहा था कि पूरे घोटाले की समग्र जांच होनी चाहिए, न कि टुकड़ों में।

Video thumbnail

बालाजी ने अपनी नई याचिका में कहा है कि ऐसी व्यापक टिप्पणियां ट्रायल कोर्ट को प्रभावित कर सकती हैं और निष्पक्ष सुनवाई की संभावना को खत्म कर सकती हैं। उनके वकील का तर्क है कि 2022 के फैसले की भाषा और निष्कर्ष उनके खिलाफ पूर्व में ही दोष सिद्ध करने जैसे हैं।

READ ALSO  Plea on Manipur Violence: SC asks petitioner to mention it before CJI

यह कानूनी कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पहले भी सुप्रीम कोर्ट बालाजी की भूमिका पर गंभीर टिप्पणियां कर चुका है। इस साल 23 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने उन्हें चेतावनी दी थी कि यदि वे मंत्री पद नहीं छोड़ते हैं तो उनकी जमानत रद्द की जा सकती है। इसके बाद बालाजी ने 27 अप्रैल को एम.के. स्टालिन मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

हालांकि, उन्हें 29 सितंबर 2024 को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया — और उन्हें वही विभाग फिर सौंप दिए गए: बिजली, अक्षय ऊर्जा, मद्यनिषेध और आबकारी। यह पुनर्नियुक्ति विवादों में रही, खासकर इसलिए क्योंकि बालाजी इस घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 15 महीने से अधिक जेल में रह चुके हैं।

READ ALSO  ईडी ने हाई कोर्ट को बताया, सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने का अधिकार है

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जुलाई 2021 में इस मामले की जांच शुरू की थी, जो 2018 में दर्ज तीन एफआईआर पर आधारित थी। आरोप था कि 2011 से 2015 के बीच जब बालाजी एआईएडीएमके शासन में परिवहन मंत्री थे, तब विभागीय नियुक्तियां कथित रूप से “भ्रष्ट तंत्र” के तहत हुईं।

अब बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दाखिल की है, उसका उद्देश्य है — लंबित आपराधिक मुकदमे में उनके विरुद्ध की गई पूर्वग्रहपूर्ण टिप्पणियों को हटवाना। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं की है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles