सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना के खिलाफ दिए गए विवादास्पद बयान की कड़े शब्दों में निंदा की है। एसोसिएशन ने उम्मीद जताई है कि भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) इस मामले में अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देंगे।

दुबे ने अपने बयान में आरोप लगाया था कि देश में “सभी गृहयुद्धों” के लिए मुख्य न्यायाधीश जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी संवैधानिक सीमाओं को पार करते हुए कानून बना रहा है और यदि ऐसा चलता रहा तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से CJI संजीव खन्ना को धार्मिक टकराव और अशांति के लिए जिम्मेदार ठहराया, खासतौर पर वक्फ संशोधन अधिनियम और अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के संदर्भ में।
इन बयानों पर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत की अवमानना की याचिका दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति आवश्यक नहीं है, लेकिन Contempt of Courts Act, 1971 के तहत अटॉर्नी जनरल की सहमति अनिवार्य है। हालांकि, कई वकीलों ने अटॉर्नी जनरल से अनुमति मांगी है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
कानूनी विशेषज्ञों और बार के सदस्यों ने दुबे की टिप्पणियों को न्यायपालिका की गरिमा और स्वायत्तता पर गंभीर आघात बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान न केवल न्यायपालिका में जनता का विश्वास कम कर सकते हैं बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी प्रभावित कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट और अटॉर्नी जनरल को पत्र भेजकर दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की तत्काल कार्यवाही की मांग की गई है।
भाजपा ने इस पूरे विवाद से दूरी बना ली है। पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने स्पष्ट किया कि यह दुबे के निजी विचार हैं और पार्टी न्यायपालिका का पूरा सम्मान करती है। नड्डा ने अन्य नेताओं को भी ऐसी टिप्पणियों से बचने की हिदायत दी है।