तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के खिलाफ विजय की TVK की याचिका सुप्रीम कोर्ट 4 दिसंबर को सुनेगा

सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता-से-राजनीत‍िक बने विजय की पार्टी ‘तमिलगा वेत्त्रि कळगम’ (TVK) द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है, जिसमें तमिलनाडु में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कराने के निर्णय को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले को 4 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है। यह निर्देश तब आया जब वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने, TVK की ओर से पेश होते हुए, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूल शिक्षकों पर BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) के तौर पर डाले जा रहे दबाव का मुद्दा उठाया।

उन्होंने अदालत को बताया कि लक्ष्य पूरे न होने पर इन BLOs को रिप्रेज़ेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट की धारा 32 के तहत नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जिसके तहत तीन महीने की सजा का प्रावधान है।

उनके मुताबिक “उन्हें नौकरी खोने और जेल जाने का खतरा है,” और काम के दबाव की वजह से 21 BLOs की आत्महत्या होने की खबरें सामने आई हैं। उन्होंने यह भी सूचित किया कि चुनाव आयोग ने SIR के लिए एनेमरेशन फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी है।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दो गलत उत्तरों को रद्द किया, पुनर्मूल्यांकन और नियुक्ति का आदेश

अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि केरल में SIR प्रक्रिया को चुनौती देने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की याचिका मंगलवार को सुनी जाएगी। वहीं, 2 दिसंबर को केरल सरकार की वह याचिका भी सुनी जाएगी जिसमें राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों के कारण SIR प्रक्रिया स्थगित करने की मांग की गई है।

पीठ ने बांग्लादेश से आए उन शरणार्थियों की याचिका पर भी नोटिस जारी किया जो 2019 के नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत नागरिकता प्रमाणपत्र मिलने में देरी के कारण मताधिकार से वंचित होने का डर जता रहे हैं।

READ ALSO  आईआईटी खड़गपुर और शारदा यूनिवर्सिटी में छात्रों की आत्महत्या पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर, जांच तेजी से पूरी करने का निर्देश

याचिकाकर्ता NGO ‘आत्मदीप’ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने कहा कि हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समुदाय से आने वाले ये शरणार्थी 2014 से पहले भारत आए लेकिन CAA के तहत उनकी आवेदन प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है। वे SIR के दौरान मतदाता सूची में एक अस्थायी शामिली की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “हम 2014 से पहले आए थे, फिर भी हमारे आवेदन अब तक लंबित हैं।”

अदालत ने टिप्पणी की कि नागरिकता का सवाल व्यक्ति-विशेष के आधार पर तय होगा। CJI ने कहा, “हमारी दिक्कत यह है कि हम सिर्फ इसलिए फर्क नहीं कर सकते कि कोई जैन है या हिंदू।”

यह मामला अब 9 दिसंबर को पश्चिम बंगाल से संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ सुना जाएगा।

READ ALSO  अमेरिकी अपीलीय अदालत ने ट्रंप सरकार के आयात शुल्क को कानूनी चुनौती के बावजूद जारी रखने की अनुमति दी

26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से उन याचिकाओं पर जवाब मांगा था जिनमें तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों में चल रहे SIR को चुनौती दी गई है।

अदालत ने पहले ही सुनवाई की समय-सारणी तय कर दी है:

  • 2 दिसंबर – केरल SIR मामले
  • 4 दिसंबर – तमिलनाडु SIR मामले
  • 9 दिसंबर – पश्चिम बंगाल SIR मामले

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि सिर्फ इसलिए कि SIR पहले कभी नहीं हुआ, यह तर्क चुनाव आयोग के फैसले को अवैध ठहराने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग के पास फॉर्म 6 में प्रविष्टियों की शुद्धता जांचने की अंतर्निहित शक्ति है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles