सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने वर्ष 2022 में पूर्व लोकसभा सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। यह याचिका डेलकर के पुत्र अभिनव डेलकर ने दायर की थी, जिसमें नौ व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही बहाल करने की मांग की गई थी।
मोहन डेलकर, जो दादरा और नगर हवेली से सात बार सांसद रह चुके थे, फरवरी 2021 में मुंबई के एक होटल में मृत पाए गए थे। उनकी कथित आत्महत्या नोट में कई वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनीतिक हस्तियों पर उत्पीड़न और डराने-धमकाने का आरोप लगाया गया था। एफआईआर में दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के प्रशासक प्रफुल्ल खोडा पटेल का भी नाम शामिल था।

इस मामले ने उस समय राजनीतिक हलचल मचा दी थी। हालांकि, 8 सितंबर 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए एफआईआर रद्द कर दी थी कि आरोपों पर कार्यवाही जारी रखने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त 2025 को फैसला सुरक्षित रखने के बाद अब हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए मामला बंद कर दिया।