सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को यह सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस तंत्र बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है कि देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्री-क्लिनिकल और पैरा-क्लिनिकल शाखाओं में पोस्टग्रेजुएट सीटें खाली न रहें।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ता ने यह भी अनुरोध किया है कि NMC को पिछले पाँच वर्षों में प्री-क्लिनिकल और पैरा-क्लिनिकल शाखाओं में कितनी पीजी सीटें खाली रही हैं, इसका पूरा डेटा पेश करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि मेडिकल शिक्षा की मूलभूत शाखाओं में सीटें खाली रह जाने से लंबे समय में शिक्षण संकाय की कमी उत्पन्न होती है, जिसका असर पूरे देश में अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर पड़ता है।
यह मुद्दा अदालत पहले भी उठा चुकी है। इसी साल जनवरी में, एक अन्य याचिका की सुनवाई दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मेडिकल कोर्स की सीटें खाली नहीं छोड़ी जा सकतीं। अदालत ने केंद्र सरकार से राज्यों सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ बैठक कर इस समस्या का समाधान खोजने को कहा था।
इससे पहले, अप्रैल 2023 में भी शीर्ष अदालत ने मेडिकल कोर्स में सुपर-स्पेशियलिटी सीटें खाली रह जाने पर चिंता जताई थी। तब केंद्र ने सुझाव दिया था कि महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (DGHS) की अध्यक्षता में राज्यों और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों सहित एक समिति बनाई जाए, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।
अब सोमवार की सुनवाई में पीठ यह विचार करेगी कि क्या पीजी सीटों के व्यर्थ जाने को रोकने के लिए बड़े स्तर पर नीतिगत बदलावों की आवश्यकता है।




