देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट और आत्महत्या की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स (NTF) ने अपना कार्य शुरू कर दिया है। पूर्व न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट की अध्यक्षता वाली इस टास्क फोर्स की पहली बैठक 29 मार्च 2025 को आयोजित हुई, जिसमें छात्र मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर ठोस कार्य योजना तैयार की गई।
इस टास्क फोर्स में मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक न्याय और नीति निर्माण के क्षेत्र से जुड़े प्रतिष्ठित विशेषज्ञ शामिल हैं—जिनमें डॉ. आलोक सरिन, प्रोफेसर मैरी ई. जॉन, अरमान अली, प्रो. राजेन्द्र कछरू, डॉ. अक्सा शेख, डॉ. सीमा मेहरोत्रा, प्रो. वर्जिनियस शाक्सा, डॉ. निधि सभरवाल और अधिवक्ता अपर्णा भट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पदेन सदस्य भी टास्क फोर्स में शामिल हैं, जिससे मुद्दों पर समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है।
छात्रों में बढ़ती मानसिक पीड़ा के कारणों को समझने और समाधान तलाशने के उद्देश्य से यह टास्क फोर्स मौजूदा नीतियों की समीक्षा करेगी, संबंधित कानूनों का विश्लेषण करेगी और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, शिक्षण संस्थानों, छात्रों और अभिभावकों सहित विभिन्न हितधारकों से संवाद करेगी। इसका उद्देश्य एक ऐसा समावेशी और सहयोगात्मक वातावरण बनाना है, जहां छात्रों का मानसिक और भावनात्मक कल्याण प्राथमिकता के रूप में सामने आए।

टास्क फोर्स ने जनता से संवाद के लिए परामर्श सत्र आयोजित करने की योजना बनाई है और जल्द ही एक समर्पित वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी लॉन्च करेगी, ताकि अधिक से अधिक लोग अपनी राय और सुझाव साझा कर सकें। यह डिजिटल पहल इस प्रक्रिया को व्यापक और भागीदारीपूर्ण बनाएगी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समयसीमा के अनुसार, टास्क फोर्स को चार महीने में एक अंतरिम रिपोर्ट और आठ महीने में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। इस रिपोर्ट के आधार पर उच्च शिक्षा संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी नीतियों और व्यवस्थाओं में ठोस सुधार की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।