सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ स्थित पत्रकार और यूट्यूबर अजय शुक्ला के खिलाफ न्यायपालिका को लेकर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू की है। यह मामला IN RE: SCANDALOUS REMARKS MADE BY MR. AJAY SHUKLA, EDITOR-IN-CHIEF, VARPRAD MEDIA PVT. LTD., A DIGITAL CHANNEL शीर्षक से दर्ज किया गया है और इसे शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह और एक अन्य नामित न्यायाधीश की तीन-न्यायाधीशीय पीठ के समक्ष प्रस्तुत होगा।
यह वर्ष 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर दायर की गई पहली आपराधिक अवमानना याचिका है। हालांकि शीर्ष अदालत ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि शुक्ला की कौन सी टिप्पणी के आधार पर यह कार्यवाही शुरू की गई है, लेकिन उनकी यूट्यूब चैनल वरप्रद मीडिया प्रा. लि. पर हाल ही में न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की सेवानिवृत्ति से संबंधित एक वीडियो सामने आया है।
उक्त वीडियो के शीर्षक में न्यायमूर्ति त्रिवेदी को ‘गोदी जज’ कहा गया है—एक ऐसा शब्द जो आम तौर पर सरकार के पक्ष में झुकाव रखने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की टिप्पणी, खासकर जब वह किसी वर्तमान या हाल ही में सेवानिवृत्त न्यायाधीश के संदर्भ में हो, न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाली मानी जा सकती है।
संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत सुप्रीम कोर्ट को अपनी अवमानना करने वालों को दंडित करने का अधिकार प्राप्त है। अवमानना अधिनियम, 1971 के अनुसार, किसी भी ऐसी टिप्पणी या कृत्य को जो न्यायालय की प्रतिष्ठा को कम करता हो या न्याय प्रक्रिया में बाधा डालता हो, आपराधिक अवमानना माना जाता है।