सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पूर्व तमिलनाडु बीएसपी अध्यक्ष के आर्मस्ट्रांग की हत्या की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया गया था। हाई कोर्ट ने राज्य पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र को भी रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया।
जस्टिस जे के महेश्वरी और जस्टिस विजय बिष्णोई की पीठ ने राज्य की अपील सुनते हुए कहा कि हाई कोर्ट का आदेश कई गंभीर पहलुओं को नज़रअंदाज़ करता है, इसलिए फिलहाल उस पर रोक लगाई जा रही है।
इससे पहले 10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केवल आरोपपत्र रद्द करने वाले हिस्से पर रोक लगाई थी, जबकि सीबीआई को जांच सौंपने की हाई कोर्ट की दिशा में हस्तक्षेप नहीं किया था। बुधवार के आदेश के साथ अब यह हिस्सा भी स्थगित कर दिया गया है।
तमिलनाडु पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह आरोप तथ्यहीन है कि राज्य पुलिस ने सीबीआई को केस रिकॉर्ड देने से मना कर दिया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने एक विस्तृत आरोपपत्र दायर किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने उसे “सहज और सतही ढंग से” खारिज कर दिया।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि सीबीआई को जांच सौंपने का आदेश भी स्थगित किया जाए, क्योंकि राज्य पुलिस पहले ही पर्याप्त जांच कर चुकी है।
दलीलों पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर भी रोक लगा दी।
मद्रास हाई कोर्ट ने 24 सितंबर को हत्या की जांच सीबीआई को सौंपते हुए एजेंसी को छह महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
बीएसपी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रहे के आर्मस्ट्रांग की 5 जुलाई 2024 को चेन्नई स्थित उनके घर के पास निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने राज्य में गहरी राजनीतिक हलचल पैदा की थी।
अब तक 27 आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है। इनमें से कई पर गुंडा अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश के बाद फिलहाल जांच तमिलनाडु पुलिस के पास ही रहेगी, जब तक कि अगली सुनवाई में कोई नया निर्देश न आ जाए।




