सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम के सेक्टर 109 स्थित चिन्टेल्स पैराडाइसो हाउसिंग सोसायटी के 22 निवासियों को बड़ी राहत देते हुए उनकी बेदखली के आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश उस वक्त आया है जब हरियाणा सरकार ने तीन टावरों को संरचनात्मक रूप से असुरक्षित घोषित कर 15 दिनों के भीतर खाली कराने का निर्देश दिया था।
टावर A, C और J के निवासियों ने इस बेदखली आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इन टावरों को केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) द्वारा असुरक्षित घोषित किया गया था। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने निवासियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए 19 मार्च को जारी बेदखली आदेश पर 9 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी है, ताकि मामले की विस्तृत समीक्षा की जा सके।
चिन्टेल्स इंडिया लिमिटेड के उपाध्यक्ष जे.एन. यादव ने कहा कि कंपनी अगली सुनवाई में अपना विस्तृत पक्ष कोर्ट में पेश करेगी।

इस मामले की गंभीरता उस त्रासदी से और बढ़ गई जब 10 फरवरी 2022 को टावर D की छठी मंजिल पर मरम्मत के दौरान संरचना ढह गई थी, जिसमें कई लोगों की जान गई और पूरे परिसर की संरचनात्मक मजबूती पर सवाल उठे।
उस घटना के बाद हरियाणा नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने सोसायटी के सभी नौ टावरों का संरचनात्मक ऑडिट कराने का आदेश दिया। ऑडिट में छह टावरों को असुरक्षित पाया गया, और डेवलपर को उन्हें गिराने की अनुमति दी गई।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में निवासियों ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा की मांग की है। उन्होंने 2024 में आए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया जिसमें टावरों के पुनर्निर्माण के निर्देश दिए गए थे। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आदेश के 11 महीने बीत जाने के बावजूद पुनर्निर्माण का कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है।
निवासियों ने डेवलपर चिन्टेल्स इंडिया लिमिटेड पर यह आरोप भी लगाया कि वह उन्हें जबरन ऐसे पुनर्विकास समझौते पर हस्ताक्षर करने को मजबूर कर रही है, जिनसे फ्लैटों की संख्या तो बढ़ जाएगी लेकिन मौजूदा निवासियों की जगह, सुविधाएं और जीवन-स्तर प्रभावित होगा।
अब सुप्रीम कोर्ट 9 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई करेगा, जहां सुरक्षा, पुनर्निर्माण और निवासियों के अधिकारों पर विस्तृत चर्चा की उम्मीद है।