एक अहम घटनाक्रम में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने नासिक नगर निगम द्वारा हज़रत सातपीर सैयद बाबा दरगाह को गिराने के नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह आदेश उस समय आया जब यह सामने आया कि स्थानीय नगर निकाय ने अदालत में सुनवाई से ठीक कुछ घंटे पहले ही आंशिक रूप से ढांचा तोड़ना शुरू कर दिया था।
16 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ को बताया गया कि दरगाह की सुरक्षा के लिए 7 अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, लेकिन इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से यह स्पष्ट करने के लिए रिपोर्ट मांगी है कि याचिका को कई प्रयासों के बावजूद सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया।
दरगाह गिराने की कार्रवाई 15 अप्रैल की रात से 16 अप्रैल की सुबह के बीच की गई, जिससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी थी। वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन पाहवा द्वारा दरगाह प्रबंधन की ओर से उठाई गई चिंताओं को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा याचिका को न लेने पर गहरी नाराजगी जाहिर की।

जस्टिस बागची ने इस आदेश को “असाधारण कदम” करार दिया और वकील के बयानों को गंभीर बताते हुए कहा, “यह एक गंभीर वक्तव्य है और अधिवक्ता को इसके परिणामों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने नासिक नगर निगम से भी इस मुद्दे पर औपचारिक जवाब मांगा है कि क्यों इतनी जल्दी धार्मिक ढांचे को गिराने की कार्रवाई की गई। अब यह मामला 21 अप्रैल को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जहां और स्पष्टीकरण की उम्मीद की जा रही है।