सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में चल रही परिसमापन (लिक्विडेशन) कार्यवाही पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। यह आदेश JSW स्टील को अंतरिम राहत के रूप में देखा जा रहा है।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि यदि इस स्तर पर परिसमापन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया, तो इससे JSW स्टील द्वारा प्रस्तावित पुनर्विचार याचिका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
पीठ ने कहा, “हम इस चरण में कोई राय व्यक्त किए बिना यह मानते हैं कि न्याय के हित में यही उचित होगा कि NCLT में लंबित कार्यवाही पर यथास्थिति बनाए रखी जाए।”

यह आदेश उस पृष्ठभूमि में आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई को JSW स्टील द्वारा BPSL के लिए दायर रिज़ॉल्यूशन प्लान को अवैध ठहराते हुए खारिज कर दिया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि यह योजना दिवालियापन और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) का उल्लंघन करती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस ताजा आदेश के चलते अब परिसमापन की प्रक्रिया फिलहाल के लिए रोक दी गई है, जिससे JSW स्टील को कानूनी उपायों के लिए कुछ समय मिल गया है।
यह मामला उन कई अन्य कॉर्पोरेट दिवालिया मामलों पर भी असर डाल सकता है, जिनमें न्यायिक हस्तक्षेप के कारण समाधान प्रक्रिया में बदलाव आया है।
अब अगली कार्यवाही JSW स्टील द्वारा दायर की जाने वाली पुनर्विचार याचिका के आधार पर आगे बढ़ेगी।