सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को सलाह दी कि वह महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों पर ध्यान केंद्रित करे। अदालत ने पार्टी के उस आवेदन पर त्वरित सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें उसने ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न को एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि समय की कमी के चलते यह मामला अब केवल ग्रीष्मावकाश के बाद ही सुना जा सकता है, जब तक कि अवकाश पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई की ठोस वजह न रखी जाए।
सिब्बल ने दलील दी कि 2023 में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने विधायी बहुमत के आधार पर ‘धनुष-बाण’ का प्रतीक शिंदे गुट को सौंप दिया, जो संविधान पीठ के पूर्व के निर्णय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह चिह्न शिवसेना की ऐतिहासिक पहचान से जुड़ा है और ग्रामीण इलाकों में इसके असर को नकारा नहीं जा सकता, जहां निकाय चुनाव होने हैं।
हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पूछा, “स्थानीय निकाय चुनाव कब से पार्टी चिह्नों पर लड़े जाने लगे?” इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि महाराष्ट्र में ऐसा प्रचलन है और चुनाव चिह्न का प्रभाव पड़ता है।
पीठ ने कहा, “आप पहले चुनाव होने दीजिए। हमें बताया गया है कि महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों से स्थानीय निकाय चुनाव नहीं हुए हैं। आप चुनावों पर ध्यान दीजिए, हम देखेंगे आगे क्या किया जा सकता है।”
सिब्बल ने बताया कि चुनावों में हुई देरी की एक वजह सुप्रीम कोर्ट का 2022 का आदेश भी है, जिसमें राजनीतिक अनिश्चितता के चलते यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया गया था। इस पर कोर्ट ने संकेत दिया कि जरूरत पड़ी तो चुनाव चिह्न के उपयोग पर शर्तें लगाई जा सकती हैं, जैसा हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मामले में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान किया गया था।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब महज दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में 2018 से लंबित पड़े स्थानीय निकाय चुनावों के आयोजन का रास्ता साफ किया है। पिछली बाधा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण से जुड़ी कानूनी खींचतान थी। अब राज्य निर्वाचन आयोग को चार हफ्तों में चुनावों की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया गया है।
शिवसेना (UBT) ने विधानसभा अध्यक्ष के 10 जनवरी 2024 के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसमें शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका खारिज कर दी गई थी। ठाकरे गुट ने इसे “गैरकानूनी और मनमाना” करार देते हुए आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने बहुमत वाले गुट को “असली शिवसेना” घोषित कर दलबदल को वैधता दे दी।
इस फैसले से 2022 में ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले शिंदे की मुख्यमंत्री पद की स्थिति मजबूत हुई और भाजपा, एनसीपी (अजित पवार गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) की गठबंधन सरकार को 2024 के लोकसभा और आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक स्थिरता मिली।
2024 के आम चुनाव में शिंदे गुट की शिवसेना ने सात लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 132 और एनसीपी (अजित पवार गुट) को विधानसभा में 41 सीटें मिलीं। दिसंबर 2024 में हुए राजनीतिक फेरबदल में देवेंद्र फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बने, जबकि शिंदे और पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
सुप्रीम कोर्ट का संदेश स्पष्ट है: पहले चुनावों की तैयारी करें, पार्टी चिह्न की कानूनी लड़ाई बाद में लड़ी जा सकती है।