2006 निठारी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट 30 जुलाई को करेगा सुरेंद्र कोली की बरी किए जाने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने बहुचर्चित 2006 निठारी हत्याकांड में आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की है। यह सुनवाई न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष होगी।

यह याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट के 16 अक्टूबर 2023 के उस फैसले के खिलाफ दाखिल की गई हैं, जिसमें कोली को निठारी कांड से जुड़े सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। इस फैसले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), उत्तर प्रदेश सरकार और पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील ने इस कांड को “क्रूरतम अपराध” बताते हुए कहा कि बच्चों के कंकाल मिलने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। वहीं, कोली की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि यह मामला पूरी तरह परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है और इसमें कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है।

पीठ ने बहस की संभावित अवधि को देखते हुए कहा, “यह मामला आज समाप्त नहीं होने वाला है,” और इसके बाद इसे 30 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया।

यह मामला 29 दिसंबर 2006 से जुड़ा है, जब नोएडा के निठारी इलाके में मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पास एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे। बाद में आसपास के नालों से भी कई बच्चों और युवतियों के अवशेष मिले, जो कुछ समय से लापता थीं।

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कोली, जो पंधेर का घरेलू सहायक था, को ट्रायल कोर्ट ने 28 सितंबर 2010 को मौत की सज़ा सुनाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने बाद में यह सजा रद्द करते हुए जांच को “अधूरी और दोषपूर्ण” करार दिया, जिससे अपराध साबित नहीं हो सका। इस निर्णय ने जन आक्रोश को जन्म दिया और अब सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा रही है।

हाईकोर्ट ने कोली के खिलाफ 12 मामलों और पंधेर के खिलाफ 2 मामलों में मौत की सजा रद्द की थी। फैसले में कहा गया कि जांच एजेंसियों की विफलता “जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात” है। हालांकि, कोली को 16 मामलों में से केवल तीन में ही बरी किया गया है, जबकि एक मामले में मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदला गया है।

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