सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए देश के विभिन्न हाईकोर्ट्स के चार पूर्व जजों और मुख्य न्यायाधीशों को ‘वरिष्ठ अधिवक्ता’ (Senior Advocate) के रूप में नामित किया है। यह फैसला 10 दिसंबर 2025 को आयोजित सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट मीटिंग में लिया गया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन पूर्व न्यायमूर्तियों को यह सम्मानजनक दर्जा प्रदान किया है। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, यह पदनाम तत्काल प्रभाव से, यानी 10 दिसंबर 2025 से लागू हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ताओं का नामांकन एक प्रतिष्ठित प्रक्रिया है, जो कानूनी पेशे में असाधारण योगदान देने वाले विधि विशेषज्ञों की पहचान करती है। बुधवार को हुई फुल कोर्ट मीटिंग में पूर्व जजों के आवेदनों और उनके न्यायिक अनुभव पर विचार-विमर्श किया गया, जिसके बाद सर्वसम्मति से उन्हें सीनियर का गाउन प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
मीटिंग के बाद, रजिस्ट्रार (CDSA) देवेंद्र पाल वालिया ने इस संबंध में औपचारिक अधिसूचना जारी की। यह दर्जा मिलने के बाद, ये पूर्व जज अब सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों में (सेवानिवृत्ति के बाद प्रैक्टिस के नियमों के अधीन) वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस कर सकेंगे।
नामित किए गए वरिष्ठ अधिवक्ताओं की सूची
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, निम्नलिखित चार पूर्व जजों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया है:
- श्री जस्टिस अभिनंद कुमार शाविली – पूर्व जज, तेलंगाना हाईकोर्ट।
- श्री जस्टिस पवनकुमार बी. बजेन्थरी – पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पटना हाईकोर्ट।
- श्री जस्टिस सत्येंद्र सिंह चौहान – पूर्व जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट।
- श्री जस्टिस टी.एस. शिवगनम – पूर्व मुख्य न्यायाधीश, कलकत्ता हाईकोर्ट।
यह पदनाम इन पूर्व जजों के विस्तृत न्यायिक अनुभव और कानून के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता को मान्यता देता है। बार और बेंच के बीच के संबंध को मजबूत करने की दिशा में इसे एक अहम कदम माना जा रहा है।

