मां चंडी देवी मंदिर के प्रबंधन में हस्तक्षेप पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरिद्वार स्थित प्राचीन मां चंडी देवी मंदिर के सेवायत महंत भवानी नंदन गिरि द्वारा दायर एक याचिका पर उत्तराखंड सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका में उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है, जिसमें बद्री-केदार मंदिर समिति को मंदिर के प्रबंधन की निगरानी के लिए रिसीवर नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर स्पष्ट किया कि फिलहाल बद्री-केदार समिति द्वारा मंदिर को लेकर लिया गया कोई भी निर्णय इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे और अधिवक्ता अश्विनी दुबे की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने बिना किसी साक्ष्य या शिकायत के मंदिर का नियंत्रण बद्री-केदार समिति को सौंप दिया, जबकि 2012 से ही हाईकोर्ट के निर्देश पर जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार की एक समिति मंदिर की निगरानी कर रही है।

Video thumbnail

महंत गिरि ने कहा कि मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी और तभी से उनके पूर्वज सेवायत के रूप में मंदिर का संचालन करते आ रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि हाईकोर्ट ने यह आदेश एक आपराधिक मामले में दायर अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया, जो पूरी तरह अनुचित, एकतरफा और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, क्योंकि सेवायत होने के बावजूद उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।

मामला उस समय चर्चा में आया जब मंदिर के मुख्य पुजारी रोहित गिरि की पत्नी गीतांजलि ने 21 मई को एक एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि रोहित की कथित लिव-इन पार्टनर रीना बिष्ट ने उनके बेटे को गाड़ी से कुचलने की कोशिश की। उसी दिन रोहित को पंजाब पुलिस ने एक अलग छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

READ ALSO  प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने के आरोप में कार्टूनिस्ट को अग्रिम जमानत देने से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का इनकार

हाईकोर्ट ने रीना बिष्ट की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी कि “मंदिर ट्रस्टियों द्वारा एक जहरीला माहौल बनाया जा रहा है और ट्रस्ट में पूर्ण अव्यवस्था है। यह नकारा नहीं जा सकता कि दान की राशि का दुरुपयोग हो रहा हो।”

इस पर याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि बिना किसी जांच और नोटिस के ऐसे गंभीर निष्कर्ष निकालना अनुचित है और इससे पुजारी परंपरा और मंदिर की स्वायत्तता पर सीधा प्रहार होता है।

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल से मुलाकात के लिए संजय सिंह की याचिका पर तिहाड़ जेल से जवाब मांगा
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles