दिव्यांगता कानून के तहत हीमोफीलिया मरीजों को नौकरी में आरक्षण देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एक याचिका पर जारी किया गया है जिसमें दुर्लभ रक्त विकार हीमोफीलिया को दिव्यांगता कानून के तहत सार्वजनिक नौकरियों में आरक्षण के दायरे में शामिल करने की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने यह नोटिस प्रेमा राम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। प्रेमा राम हीमोफीलिया से पीड़ित हैं और उन्हें 2018 में 50% बेंचमार्क दिव्यांगता का प्रमाण पत्र मिला था। उन्होंने मई में सिविल सेवा परीक्षा दी थी, लेकिन ‘दिव्यांग श्रेणी’ में आवेदन नहीं कर सके क्योंकि हीमोफीलिया को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 34 के तहत आरक्षण योग्य 21 दिव्यांगताओं में शामिल नहीं किया गया है।

READ ALSO  ब्रेकिंग: सुप्रीम कोर्ट ने पुणे पोर्श दुर्घटना में साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के आरोपी पिता को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जैना कोठारी ने तर्क दिया कि हीमोफीलिया के कारण जोड़ों में अंदरूनी रक्तस्राव होता है जिससे अंगों में विकृति और गतिशीलता में गंभीर बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने बताया कि भले ही हीमोफीलिया को अधिनियम के अनुसूची में ‘निर्दिष्ट दिव्यांगता’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन धारा 34 के अंतर्गत आरक्षण लाभ से यह रोगी वर्ग अभी भी वंचित है।

Video thumbnail

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “अगर आपको लोकमोटर दिव्यांगता है तो आपको आरक्षण मिलेगा। हम इसमें कोई कानूनी चुनौती नहीं देखते। आरक्षण कानून के अनुसार ही दिया जा सकता है। सभी के लिए समान नहीं किया जा सकता।”

याचिका में इस कानूनी विसंगति को रेखांकित किया गया है कि जबकि हीमोफीलिया 40% या अधिक प्रभाव के साथ बेंचमार्क दिव्यांगता की श्रेणी में आता है, फिर भी इसे सेरेब्रल पाल्सी, बौनेपन या एसिड हमले के पीड़ितों जैसी स्थितियों की तरह नौकरी में आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य के विधि अधिकारियों के लिए बीमा योजना पर विचार करने का निर्देश दिया

अधिवक्ता रोहित शर्मा के माध्यम से दाखिल याचिका में यह भी कहा गया है कि हीमोफीलिया ए और बी जैसी स्थितियों में शरीर में क्लॉटिंग फैक्टर VIII या IX की कमी होती है, जिससे मरीज को बार-बार और बिना रोक के रक्तस्राव होता है। ऐसी स्थिति में इलाज महंगा और कठिन होता है, जिससे रोजगार में आरक्षण जैसी सहायता अत्यंत आवश्यक हो जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और UPSC से जवाब मांगा है और याचिकाकर्ता को दिव्यांग उम्मीदवार के रूप में UPSC परीक्षा में मान्यता देने की मांग पर भी विचार करने को कहा है।

READ ALSO  गुजरात हाईकोर्ट ने 10 साल से लंबित आपराधिक अपीलों की सुनवाई के लिए शनिवार को विशेष पीठें गठित करने की घोषणा की
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles