नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिल अभिनेता से राजनेता बने एस वी शेखर को एक महिला पत्रकार के खिलाफ आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के मामले में कड़ी फटकार लगाई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनवाई के दौरान शेखर के आचरण पर नाराजगी जताई और कहा कि उन्होंने “एक महिला के खिलाफ एक घिनौना अभियान चलाया जो उसकी गरिमा पर सीधा हमला था।”
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने शेखर के वकील बालाजी श्रीनिवासन से कहा, “हमें यह देखकर आश्चर्य होता है कि आप इस मामले को अब भी आगे बढ़ा रहे हैं। यह एक घटिया और बेशर्म हरकत थी। उन्होंने एक महिला की गरिमा पर सीधे हमला किया। यह कोई पहला मामला नहीं लगता—संभव है कि वह अन्य महिलाओं को भी परेशान कर रहे हों, बस इस बार पत्रकारों की संस्था ने उन्हें टोक दिया।”
शेखर के वकील ने दावा किया कि उन्होंने वह आपत्तिजनक संदेश बिना पढ़े ही फॉरवर्ड कर दिया था और एक घंटे के भीतर डिलीट कर दिया गया था, साथ ही माफी भी मांगी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील पर सवाल उठाए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, शेखर ने वास्तव में कभी औपचारिक माफी नहीं मांगी, बल्कि केवल एक औपचारिक बयान जारी किया था।
यह विवाद वर्ष 2018 में शेखर द्वारा किए गए एक सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने एक महिला पत्रकार को लेकर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस पर पत्रकार संघ की शिकायत के बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
पिछले वर्ष फरवरी में एक विशेष अदालत ने शेखर को दोषी ठहराते हुए एक महीने की सजा और जुर्माना सुनाया था। इसके बाद शेखर ने मद्रास हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा। हालांकि, हाईकोर्ट ने सजा को 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया ताकि शेखर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उन्हें अगली सुनवाई तक आत्मसमर्पण से अंतरिम छूट दी, लेकिन उनके आचरण को लेकर सख्त टिप्पणी की।