सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया की गणना के संबंध में अपने 2021 के आदेश की समीक्षा के लिए उनकी याचिकाओं को खारिज करके भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसे प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटरों को एक बड़ा झटका दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने एजीआर गणना में कथित त्रुटियों को सुधारने के लिए कंपनियों के आवेदनों को खारिज करते हुए अपने पिछले फैसले को बरकरार रखा।
इस फैसले की पुष्टि 28 जनवरी को एक इन-चैंबर समीक्षा में की गई, जहां अदालत ने खुली अदालत में मौखिक बहस के अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया। पीठ ने कहा, “समीक्षा याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करके मौखिक बहस की प्रार्थना खारिज की जाती है। हमने समीक्षा याचिकाओं और उनके समर्थन में आधारों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है।” न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि प्रस्तुत तर्कों के आधार पर समीक्षा के लिए कोई ठोस मामला स्थापित नहीं हुआ और इस प्रकार निष्कर्ष निकाला, “समीक्षा याचिकाएँ, तदनुसार, खारिज की जाती हैं। लंबित आवेदन(ओं), यदि कोई हो, का निपटारा किया जाएगा।”*
दूरसंचार कंपनियों ने AGR गणना में अंकगणितीय त्रुटियों और प्रविष्टियों के दोहराव का हवाला देते हुए पुनर्मूल्यांकन की मांग की थी, जिसके बारे में उनका तर्क था कि इससे उनका बकाया काफी बढ़ गया है। विवाद AGR मुद्दे पर अक्टूबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से उपजा है, जिसे सितंबर 2020 में और स्पष्ट किया गया था। तब अदालत ने आदेश दिया था कि दूरसंचार सेवा प्रदाता 10 साल की अवधि में AGR से संबंधित बकाया राशि के रूप में 93,520 करोड़ रुपये का भुगतान करें।
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2020 के निर्देश के अनुसार, दूरसंचार ऑपरेटरों को 31 मार्च, 2021 तक कुल बकाया का 10 प्रतिशत भुगतान करना था, इसके बाद 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2031 तक वार्षिक किश्तों का भुगतान करना था। अदालत ने कहा था कि दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा गणना की गई बकाया राशि को अंतिम माना जाना था, जिससे दूरसंचार कंपनियों द्वारा किसी भी विवाद या पुनर्मूल्यांकन की अनुमति नहीं थी।